यादें शेष: माता के जागरण में नरेंद्र चंचल की आवाज सुनकर ही भक्तों की भीड़ लग जाती थी

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है… इस देवी भजन में एक ऐसी आवाज जिसे देशवासी वर्षों तक नहीं भूलेंगे, आज वह आवाज खामोश हो गई. माता ने अपना सबसे प्यारा भक्त को अपने पास बुला लिया.

‌अब देवी जागरण में वह गायकी कभी नहीं सुनाई देगी जिसे पूरा देश 50 वर्षों से सुनता आ रहा है. शुक्रवार दोपहर को जब यह खबर आई कि भजन सम्राट और माता जागरण को देश के कोने-कोने में पहुंचाने वाले नरेंद्र चंचल नहीं रहे, तब लाखों-करोड़ों संगीत प्रेमियों और माता के भजन सुनने वालों की आंखें नम हो गईं.

बता दें कि शुक्रवार दोपहर नरेंद्र चंचल का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया, वे 80 वर्ष के थे और पिछले दो महीने से अपोलो अस्पताल‌ में भर्ती थे। नरेंद्र चंचल अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं। उनका जन्म 1940 में पंजाब के अमृतसर शहर के नानक मंडी‌ में हुआ था और उनका पालन-पोषण धार्मिक माहौल में हुआ.

उसके बाद वे दिल्ली में आकर बसे और यहीं के होकर रह गए। बता दें कि नरेंद्र चंचल में माता के भजनों को लेकर रुचि इसलिए बढ़ी क्योंकि उन्होंने बचपन से ही अपनी मां को मातारानी के भजन गाते सुना था. यही वजह थी कि नरेंद्र अपनी पहली गुरु अपनी मां को माना करते थे. इसके बाद चंचल ने प्रेम त्रिखा से संगीत सीखा, फिर वह भजन गाने लगे थे.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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