जनता कर्फ्यू एक वर्ष: महामारी को हराने के लिए आइए एक बार फिर समझदारी दिखाएं और स्वयं लें सख्त फैसले

अजीब महामारी है ! न हम समझ सके न तुम. कोई नहीं जानता यह संकटकाल हमें कहां ले जाएगा और कितने दिनों तक. जब-जब आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं तब कदम फिर रुक जाते हैं. आज 22 मार्च है. यह तारीख देशवासी कभी नहीं भूल पाएंगे. आज बात भी कोरोना महामारी को लेकर होगी. वर्ष 2020 के मार्च महीने में कोविड-19 की शुरुआत जब देश में हो रही थी तब किसी ने सोचा नहीं था कि जिंदगी इतनी ‘खौफनाक’ हो जाएगी और कितने दिनों तक हमें ‘डर के साए’ में जीना पड़ेगा. इस महामारी ने लाखों-करोड़ों परिवारों पर ऐसा कहर ढाया कि अभी भी लोग ‘सदमे’ से उभर नहीं पाए हैं.

सही मायने में कोरोना ने देशवासियों की जिंदगी ही पटरी से उतार दी, जो अभी तक पूरी तरह संभल नहीं पाई है. अब बात को आगे बढ़ाते हैं. पिछले वर्ष 19 मार्च दिन गुरुवार रात 8 बजे जब भारत में कोरोना के केस बढ़ने लगे तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मोर्चा संभालते हुए राष्ट्र को संबोधित किया था. उस संबोधन में ‘पीएम मोदी ने देश की जनता को आगाह करते हुए चेताया था अब हमें सावधान हो जाना चाहिए’. साथ ही उन्होंने देश में पहली बार एक नया शब्द ‘जनता कर्फ्यू’ उल्लेख भी किया था. आइए आपको बताते हैं प्रधानमंत्री ने जनता को क्या संदेश दिया था.

पिछले वर्ष देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए कदमों पर पीएम मोदी ने कहा था ‘आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं, ये है जनता कर्फ्यू, यानी जनता के लिए, जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू’. प्रधानमंत्री की 135 करोड़ देशवासियों से अपील का असर ये हुआ था कि पिछले साल 22 मार्च दिन रविवार को पूरे देश में सन्नाटा पसरा था, शहर हो या गांव हर जगह सिर्फ जनता कर्फ्यू का नजारा दिखाई दिया था. इस कर्फ्यू के तहत सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक हर किसी को अपने घरों में कैद रहना था, बाजार, दुकान, सार्वजनिक वाहन, दफ्तर, स्कूल या कॉलेज, सब कुछ बंद कर दिया गया था.

हालांकि बेहद जरूरी क्षेत्र से जुड़े लोगों को काम पर जाने की छूट दी गई थी. प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से जनता कर्फ्यू के साथ-साथ एक और खास अपील की थी कि देशवासी शाम 5 बजकर 5 मिनट पर अपने घरों की बालकनी पर खड़े होकर ताली, थाली बजाएं. पीएम के इस आग्रह का पूरे देश भर में असर दिखाई दिया था. बड़ी संख्या में लोग अपने घरों की बालकनी, गेट के बाहर तालियां-थालियां बजाने के लिए आए थे.

क्या आम और खास सभी ने ताली, थाली बजाई थी. प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को एक बार फिर देश को संबोधित किया था. तब पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू के पालन की तारीफ की थी, लेकिन इसी के साथ ही देश में 21 दिनों के ‘पूर्ण लॉकडाउन’ का एलान कर दिया था. यानी लोगों को पूरे 21 दिन अपने घरों में रहना था, न कोई कहीं आ सकता था और न ही कोई कहीं जा सकता था.

उसके बाद जिससे पूरा देश ही घरों में कैद होकर रह गया था. बहुत ही जरूरी कामों के लिए ही लोगों को बाहर निकलने की परमिशन दी गई थी. बता दें कि पिछले वर्ष 30 जनवरी को भारत में कोरोना वायरस का पहला केस सामने आया था, तब किसी को पता नहीं था कि ये बीमारी कैसी है और कब-तक खत्म होगी.

देखते ही देखते जब कोरोना वायरस ने रौद्र रूप लिया, तब मार्च में जाकर केंद्र सरकार ने सख्त फैसले उठाने शुरू किए. आज जनता कर्फ्यू को एक साल पूरे हो गए हैं. एक बार फिर देश में कोरोना वापसी करने लगा है, हमें एक बार फिर समझदारी दिखानी होगी और स्वयं सख्त फैसले लेने होंगे.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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