भारत छोड़ो आंदोलन वर्षगांठ विशेष: देश से अंग्रेजों को भगाने की महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ नारे के साथ की थी शुरुआत

आज एक ऐसी तारीख है जो देश को आजादी दिलाने की शुरुआत मानी जाती. आप लोगों ने भी पढ़ाई के दौरान भारत छोड़ो आंदोलन या ‘अगस्त क्रांति’ की गाथा जरूर पढ़ी होगी . जी हां हम बात कर रहे हैं 9 अगस्त की. यह तारीख इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है. वैसे अगस्त महीना भारत की आजादी के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.

15 अगस्त को हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हुआ था . लेकिन आज हम उस आंदोलन की बात करेंगे जिसने देश को आजादी दिलाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी . ‘भारत छोड़ो आंदोलन'(अगस्त क्रांति) यह एक ऐसा आंदोलन था जो कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में 9 अगस्त 1942 को बंबई अब (मुंबई ) शुरू किया गया था. इस आंदोलन के बाद से ही अंग्रेजों की हुकूमत हिल गई थी और वह भागने पर मजबूर हुए थे.

आज भारत छोड़ो आंदोलन की 79वीं वर्षगांठ पर पूरा देश अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर श्रद्धांजलि दे रहा है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के अगस्त क्रांति के सेनानियों को याद किया. पीएम मोदी ने भी ट्विटर पर लिखा कि ‘भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने वाले महान लोगों को श्रद्धांजलि, जिन्होंने उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और महात्मा गांधी की प्रेरणा से भारत छोड़ो आंदोलन की भावना पूरे भारत में गूंज उठी थी इसने हमारे देश के युवाओं में जोश भर दिया था.

वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने भी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट करते हुए लिखा कि 1942 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी ने ‘करो या मरो’ नारे के साथ भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद किया था. यह अंग्रेजी शासन की निर्ममता के विरुद्ध सिर्फ एक आंदोलन भर नहीं था बल्कि स्वाधीनता के लिए व्‍यापक जन-क्रांति थी जिसने अंग्रेजों के घुटने टिकवा उन्हें भारत छोड़ने पर विवश किया.

आइए जानते हैं इस आंदोलन से अंग्रेज क्यों हिल गए थे . बता दें कि अगस्त क्रांति आंदोलन देश का सबसे बड़ा आंदोलन था . यह आंदोलन ऐसे समय प्रारंभ किया गया जब दुनिया काफी बदलावों के दौर से गुजर रही थी. पश्चिम में युद्ध लगातार जारी था और पूर्व में साम्राज्‍यवाद के खिलाफ आंदोलन तेज होते जा रहे थे.

एक तरफ भारत महात्मा गांधी के नेतृत्व की आशा कर रहा था और दूसरी तरफ सुभाष चंद्र बोस भारत को आजाद करने के लिए फौज तैयार कर रहे थे . इस भारत छोड़ो आंदोलन के बाद ही देश की आजादी की मजबूत जमीन तैयार हो चुकी थी .

इस आंदोलन को बड़ा रूप देने के लिए एक दिन पहले बनाई गई थी रूपरेखा
8 अगस्त, 1942 को बंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव पारित किया गया. इस प्रस्ताव में यह घोषित किया गया था कि अब भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति भारत में स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र की स्थापना के लिए जरूरी हो गया था.

अंग्रेजों के खिलाफ कांग्रेस आंदोलन के लिए सभी दलों को एक साथ करना चाहती थी लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पा रही थी. महात्मा गांधी ने किस आंदोलन सभी दलों के नेताओं को एकजुट करने में बड़ी सफलता हासिल की थी.

भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी ने देशवासियों और सेनानियों से अंग्रेजों के खिलाफ आह्वान करते हुए ‘करो या मरो’ का नारा भी दिया था . इस आंदोलन में महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, अबुल कलाम आजाद और जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं की गिरफ्तारी भी हुई. इस आंदोलन ने अंग्रेजों को पस्त कर दिया था और फिर उन्हें 1947 में भारत छोड़कर जाना पड़ा. इस तरह यह भारत छोड़ो आंदोलन आजादी के लिए सबसे बुलंद आवाज माना जाता है.

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