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विशेष स्टोरी: 4:15 पर त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस्तीफा-9 मिनट की प्रेस कांफ्रेंस में छलका दर्द, मुझे हटाने की कार्रवाई दिल्ली ने की

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त्रिवेंद्र सिंह रावत

चार दिनों से उत्तराखंड सरकार में जारी सियासी घमासान के बीच आखिरकार मंगलवार दोपहर बाद 4:15 पर पटाक्षेप हो गया. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. सुबह से ही इशारे मिलने लगे थे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत शाम 4 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर इस्तीफा सौंप देंगे.

राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. 9 मिनट की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में त्रिवेंद्र सिंह रावत कई बार अपना ‘दर्द’ भी छुपाते रहे. रावत ने कहा कि भाजपा ने छोटे से गांव के कार्यकर्ता को इतना बड़ा सम्मान दिया। 4 साल मुझे सेवा करने का मौका दिया.

पार्टी ने सामूहिक रूप से फैसला लिया है कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए। ‘वहांं मौजूद मीडिया से जुड़े लोगों ने त्रिवेंद्र से पूछा कि आपको इस्तीफा देने के कारण क्या रहे ? तब त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि इसके लिए आपको दिल्ली जाना होगा’. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर वह कौन सा कारण है कि जिसे त्रिवेंद्र सिंह रावत बताना नहीं चाहते और हाई कमान मुंह खोलने को तैयार नहीं है। खैर अब त्रिवेंद्र सिंह रावत ‘पूर्व’ मुख्यमंत्री हो चुके हैं.

अब उत्तराखंड नए मुख्यमंत्री की तलाश में है. अब जो संकेत मिल रहे हैं उसमें सबसे बड़ा नाम धन सिंह रावत और राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी का है. हालांकि बुधवार 10 बजे देहरादून स्थित भाजपा कार्यालय पर विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई है. इस बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम का एलान होगा.

वहीं दूसरी ओर त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफा देने से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत कहते फिर रहे थे कि पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक है लेकिन त्रिवेंद्र के इस्तीफा देने के बाद वह मीडिया के सामने नजर नहीं आए.

दिल्ली में अमित शाह और नड्डा की मुलाकात में उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन हो गया था तय
आपको बता दें कि एक दिन पहले सोमवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत के राजधानी दिल्ली पहुंचने पर उनके इस्तीफे की ‘उल्टी गिनती’ शुरू हो गई थी. त्रिवेंद्र सिंह ने दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से घर जाकर मुलाकात की थी. इससे पहले उत्तराखंड के सियासी घटनाक्रम को लेकर गृहमंत्री अमित शाह और नड्डा की भी आपस में मुलाकात हुई थी.

अमित शाह और नड्डा की मुलाकात में ही उत्तराखंड का ‘नया नेतृत्व’ भी तय हो चुका था. बता दें कि सोमवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत के दिल्ली जाने के बाद उत्तराखंड की सियासत में यह सवाल गरमाता रहा कि दिल्ली में क्या हुआ? सियासी दलों के दफ्तरों से लेकर राज्य सचिवालय के गलियारों में हर दिल्ली की खबर जानने को बेताब था.

सोमवार देर रात तक अटकलों का बाजार गरमाता रहा। बता दें कि अभी कुछ समय पहले ही एक चैनल के सर्वे में त्रिवेंद्र सिंह रावत को सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बताया गया था. एक दूसरा कारण कुमायूं के अधिकांश भाजपा नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत से खुश नहीं थे. भाजपा विधायकों की नारजागी त्रिवेंद्र सिंह रावत पर भारी पड़ी.

मौजूदा विधानसभा के बजट सत्र में गैरसैंण को कमिश्‍नरी बनाने का निर्णय जिस तरह किया गया। उससे भाजपा विधायकों में नाराजगी दिखी और भीतर खाने नेताओं ने इस निर्णय का विरोध भी किया। दूसरी ओर कुमायूं के भाजपाइयों ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने के लिए पिछले काफी दिनों से मोर्चा खोल रखा था.

यहां हम आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी में विधायकों और कुछ मंत्रियों में नाराजगी के चलते त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है. इन नेताओं की नाराजगी जाहिर करने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बने रहने पर संकट जारी था. इसके बाद से ही केंद्रीय नेतृत्व इस मसले पर मंथन कर रहा था, तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद से छुट्टी हो सकती है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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