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उच्च शिक्षा में अनावश्यक बोझ कम करने के लिए यूजीसी ने शुरू की ये पहल

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ऑनलाइन शिक्षा क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता सरलता व सुगमता लाने के लिए यूजीसी द्वारा कई नई पहल की जा रही हैं. यूजीसी ने अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर उच्च शिक्षा में अनावश्यक बोझ को भी कम करने की एक नई शुरूआत की है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में अनुपालन बोझ को कम करने और प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए हितधारकों के साथ ऑनलाइन बातचीत की एक श्रृंखला शुरू की है. यह सुधार केंद्र सरकार की ईज आफ डूइंग बिजनेस और ईज आफ लीविंग पर केंद्रित है.

इस श्रृंखला में पहली ऐसी ऑनलाइन कार्यशाला बुधवार को आयोजित की गई. इसकी अध्यक्षता उच्च शिक्षा मंत्रालय के सचिव अमित खरे ने की. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर डीपी सिंह और प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे, अध्यक्ष, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद भी इस दौरान उपस्थित रहे.

यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने कहा कि, “उद्योग संघों जैसे सीआईआई, फिक्की, एसोचैम और कुलपति और कुछ केंद्रीय, राज्य, डीम्ड, निजी विश्वविद्यालयों और तकनीकी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुपालन बोझ को कम करने पर अपने विचार साझा किए. उनकी प्रतिक्रिया के आधार पर प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और अनुपालन बोझ में कमी के लिए कुछ क्षेत्रों की पहचान की गई है.”

रजनीश जैन ने कहा कि, “अनुपालन बोझ में कमी के लिए क्षेत्रों की पहचान के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निकट भविष्य में इस तरह की और कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी.”

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