बुधवार को अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली नागपुर की सेंट्रल जेल से रिहा हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में अरुण गवली की जमानत मंजूर कर ली उसके बाद उसे नागपुर केंद्रीय कारागार से रिहा कर दिया गया. जेल से निकलकर वह नागपुर एयरपोर्ट पहुंचा. जहां से वह मुंबई के लिए रवाना हुआ. बता दें कि अरुण गवली कभी मुंबई में दहशत का पर्याय बन गया था. वह साल 2024 में विधायक भी बना था. वह अखिल भारतीय सेना के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरा और मुंबई की चिंचपोकली विधानसभा सीट से चुनाव जीत गया. वह 2024 से 2009 तक विधायक रहा.
बुधवार को अरुण गवली को जब नागपुर की सेंट्रल जेल से रिहा किया गया तब उनके भाई अलावा उनके कई रिश्तेदार भी मौजूद रहे. गलवी की रिहाई के वक्त जेल परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. इस दौरान जेल परिसर में एटीएस की चीम को तैनात किया गया था. बता दें कि अरुण गवली को मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांदेकर की हत्या के मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जमसांदेकर की हत्या साल 2012 में हुई हत्या थी. सजा सुनाने के बाद गवली को नागपुर की सेंट्रल जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था. तब से वह वहीं बंद था.
महाराष्ट्र के अहमदनगर के कोपरगांव में 17 जुलाई 1955 को पैदा हुआ अरुण गवली एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है. उसके पिता गुलाबराव मजदूरी करते थे. जो बाद में मुंबई आकर सिम्पलेक्स मिल में काम करने लगे. अरुण गवली की मां लक्ष्मीबाई गृहिणी थीं. पैसों की तंगी के चलते अरुण गवली ने 10वीं के बाद ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी. उसके बाद वह काम करने लगा. 1980 और 1990 के दशक में वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड का एक प्रमुख चेहरा बन गया था. सेंट्रल मुंबई के दगड़ी चॉल क्षेत्र में अपने गैंग की वजह से वह कुख्यात हो गया था.
उसने 1980 के दशक में दाऊद इब्राहिम के साथ काम किया, लेकिन 1988 में रामा नाइक की हत्या के बाद दोनों के बीच दुश्मनी की शुरुआत हो गई. वह स्थानीय मराठी समुदाय में प्रसिद्ध था. 1990 के दशक में, मुंबई पुलिस के बढ़ते दबाव और गैंगवार से बचने के लिए उसने राजनीति में कदम रखा. उसने अखिल भारतीय सेना (ABS) नाम से एक पार्टी बनाई और 2004 में विधायक बन गया.