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लोकसभा में अमित शाह का दिखा आक्रामक अंदाज, तीन परिवारों ने क्या किया उसे भी जानना जरूरी

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह पूरे रंग में थे. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन बिल 2021 पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि पिछले डेढ़ वर्षों में सरकार ने क्या किया है तो यह भी बताया कि किस तरह से जिन तीन परिवारों को शासन करने का मौका मिला उन्होंने क्या किया.

उन्होंने कहा कि वो पाई पाई का हिसाब देने के लिए तैयार हैं. लेकिन जिन लोगों से दशकों तक शासन किया उन्हें यह देखना होगा कि पिछले डेढ़ साल में किस तरह से कोरोना के बीच राज्य में विकास के नए कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का राजनीतिकरण न करें. यदि आप एक राजनीतिक लड़ाई चाहते हैं, तो रिंग में आएं और प्रतिस्पर्धा करें. कोई भी डरा हुआ नहीं है. यह (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) हमारे देश का एक संवेदनशील हिस्सा है.

उन्हें चोट लगी है और संदेह है. इस सदन की ज़िम्मेदारी है कि वह उन्हें दिलासा दे, उनके ज़ख्मों को कुरेदे नहीं. लोकसभा में उन्होंने तीन परिवारों के नामों का जिक्र तो नहीं किया. लेकिन उन्होंने इशारों इशारों में ही अब्दुल्ला, मुफ्ती और गांधी परिवार पर निशाना साधा.

लोकसभा में अमित शाह की स्पीच के खास अंश
किसके दबाव में धारा 370 लगी रही.
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे
धारा 370 और 35 ए अस्थाई प्रकृति के थे.
तीन परिवारों ने जम्मू-कश्मीर को विकास की पटरी से उतार दिया था.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है. वो हर एक दल से अपील करते हैं इस संवेदनशील मुद्दे को राजनीति के चश्मे से ना देखें.
चार पीढ़ी ने जो किया उसे हमने डेढ़ साल में किया.
2022 तक पूरे जम्मू-कश्मीर को रेल नेटवर्क से जोड़ देंगे.
जम्मू-कश्मीर में उद्योगों की बहाली हमारी सरकार का लक्ष्य
जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने शानदार काम किया है.
जिस तरह से डीडीसी चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हुए वो हमारी नीयत को बयां करने के लिए काफी.

कांग्रेस पर जबरदस्त हमला
मनीष भाई (मनीष तिवारी), कांग्रेस के दिनों को याद करें. हजारों लोग मारे गए, कर्फ्यू लगा दिया गया. डेटा के आधार पर स्थिति को समायोजित करें. कश्मीर में शांति एक बड़ी बात है. मैं अशांति के दिनों को याद नहीं करना चाहता. ऐसे दिन नहीं होंगे (J & K) जैसे कि अब हमारी सरकार है. कोई भी नहीं, हमारे प्रतिद्वंद्वी भी नहीं कह सकते कि चुनाव (डीडीसी) के दौरान धोखाधड़ी या अशांति थी. सभी ने निडर और शांति से मतदान किया. पंचायत चुनाव में 51% वोट पड़े. जिन लोगों ने धारा 370 वापिस लाने के आधार पार चुनव लाडा था वो सब साफ हो गए साफ. कोविड 19 की वजह से के कारण पूरी दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही है. मनीष जी (तिवारी), आप पंजाब से आते हैं, वहां से आंकड़े लाते हैं, यह वहां आपकी सरकार (कांग्रेस) है या राजस्थान, छत्तीसगढ़ से. जहां तक मंदी का सवाल है, जम्मू-कश्मीर उन सभी की तुलना में बेहतर कर रहा है.

उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा

​कई सांसदों ने कहा कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 लाने का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा. मैं बिल को पायलट कर रहा हूं, मैं इसे लाया हूं. मैंने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं. कहीं नहीं लिखा है कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा. आप कहाँ से निष्कर्ष निकाल रहे हैं? मैंने इस सदन में कहा है और मैं इसे फिर से कहता हूं कि इस विधेयक का जम्मू और कश्मीर के राज्य से कोई लेना-देना नहीं है. उपयुक्त समय पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा.

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