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राजस्थान: भाजपा में गुटबाजी, वसुंधरा समर्थकों ने बनाई अलग टीम, सतीश पूनिया बोले- केंद्रीय नेतृत्व को है जानकारी

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फोटो साभार-न्यूज़ 18

जयपुर| सोशल मीडिया पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थकों द्वारा प्रदेश कार्यकारिणी बनाए जाने का मामला भाजपा में गुटबाजी के रूप में देखा जा रहा है.

सोशल मीडिया के माध्यम से ही वसुंधरा समर्थकों ने प्रदेश के लगभग 26 जिलों में कार्यकारिणी का भी गठन कर दिया गया है, जिसकी सूचियां भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. यही नहीं वसुंधरा राजे समर्थकों करें सोशल मीडिया पर पेज भी बनाया गया है जिसमें साल 2023 में अगला लक्ष्य सीएम के तौर पर वसुंधरा राजे को बनाए जाना रखा है.

इन तमाम मुद्दों को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मीडिया से बातचीत की. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि पार्टी के लिए यह कोई गंभीर मसला नहीं है. केवल सोशल मीडिया पर चल रही बातें हैं.

इस तरह की जो चर्चाएं आई हैं उसका संकलन किया जा रहा है. इसकी जानकारी केंद्र को भी है. सोशल मीडिया की कोई पोस्ट गुटबाजी का कारक नहीं होता है. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश…

केंद्र ने राजस्थान में गुटबाजी खत्म करने के लिए बुलाई थी कल दिल्ली में बैठक?
जवाब- भाजपा में गुटबाजी नहीं है क्योंकि हम भाजपा के झंडे के नीचे संविधान का मान रख के काम करते हैं. यह किसी गुटबाजी का कारण नहीं है. दिल्ली में संगठनात्मक बैठक लगातार होती रहती हैं, कल की बैठक मीडिया के लिए खबर हो सकती है लेकिन हमारे लिए यह रूटीन का काम था. पिछले दिनों राजस्थान में जो चुनाव हुए थे उनकी समीक्षा इस बैठक में की गई,आगे विधानसभा की 3 सीटों के लिए उपचुनाव होंगे उनकी चर्चा हुई. पार्टी के फ्रंट ऑर्गनाइजेशन को किस तरह से सक्रिय किए जाए, उस पर चर्चा हुई. राजस्थान में संगठनात्मक मजबूती को लेकर चर्चा की गई. कल दिल्ली में पहले राजस्थान की बैठक केंद्रीय नेतृत्व के साथ ही उसके बाद महाराष्ट्र की बैठक शाम को हुई थी.

सामान्यतया सोशल मीडिया पर समर्थक पेज बना सकते हैं, लेकिन पार्टी की तरह से कार्यकारिणी बनाना गंभीर इशू हो सकता है?
जवाब-
सोशल मीडिया पर जो चल रहा है उसकी पूरी जानकारी की आवश्यकता है. सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दो दिन से इसकी चर्चा ज्यादा हो रही है, किस तरह के लोग हैं उनकी नियत क्या है, कुल मिलाकर कर हमारा संगठन इतना बड़ा है कि व्यक्ति का महत्व कम और संगठन का महत्व ज्यादा है. छोटा हो या बड़ा, पार्टी की मर्यादा में पार्टी के झंडे के नीचे काम करते हैं. कोई अपरिचित सोशल मीडिया पर कुछ चलाते हैं तो मुझे लगता है कि संगठन के लिए और पार्टी के लिए कोई चुनौती भी नहीं है. हमारी तरफ से ज्यादा गंभीरता की आवश्यकता नहीं है.

सोशल मीडिया के पेज में वसुंधरा राजे को 2023 में मुख्यमंत्री बनाने का लक्ष्य रखा है?
जवाब-
कोई अपरिचित या सामान्य व्यक्ति किसी नेता की फोटो लगाता है तो यह उनकी अभिव्यक्ति की बात है. सब यह जानते हैं कि जहां तक पार्टी के जिम्मेदार लोग हैं, वह पार्टी के अनुशासन में बंधे हुए हैं. सेंट्रल पार्लियामेंट्री बोर्ड ही मुख्यमंत्री कौन होगा, उसका नाम तय करता है. जनमत के बारे में जनता तय करती है. यह सब चीजें भविष्य के गर्भ में है, लेकिन राजनैतिक तौर पर यह बात सही है कि इस तरह की गतिविधियां होती है तो चर्चा स्वभाविक है.

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में रहे एक मंत्री ने मांग की है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे की वापसी होनी चाहिए?
जवाब-
व्यक्ति अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कर सकता है, इस पर कहीं किसी तरह की कोई एतराज की बात नहीं है. उसका मंच क्या हो यह जरूर देखना चाहिए. उनको बात रखने के लिए केंद्र का नेतृत्व भी है और पार्टी का फोरम भी है. पार्टी के प्रमुख लोगों के बीच उनकी बात रखी जा सकती है. ऐसे लोगों को अपनी बात उचित मंच पर कहना चाहिए.

सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं की रिपोर्ट क्या केंद्र में भेजी जाएगी?
जवाब-
सोशल मीडिया पर जो लोग इस तरह की चर्चाएं कर रहे हैं, इसमें किस में के लोग हैं यह पता नहीं है. इस बारे में देखेंगे और विचार करेंगे.

साभार-न्यूज़ 18

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