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2022 से टाटा ग्रुप आईपीएल का नया टाइटल स्पॉन्सर

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चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो अब आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर नहीं रहेगी. उसकी जगह टाटा ग्रुप को आईपीएल का नया टाइटल स्पॉन्सर बनाया गया है. इस साल यानी 2022 से टूर्नामेंट अब टाटा आईपीएल के नाम से जाना जाएगा.

पिछले साल चीन और भारत में तनाव के बीच वीवो से टाइटल राइट्स ट्रांसफर नहीं हो पाया था. आईपीएल चेयरमैन बृजेश पटेल ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को इसकी जानकारी दी है. मंगलवार को आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग में ये फैसला लिया गया.

चीनी कंपनी वीवो आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए बीसीसीआई को हर साल 440 करोड़ रुपए देती है. पिछले साल भारत-चीन के बीच हुए विवाद के कारण जब देश में विरोध हुआ, तब एक साल के लिए वीवो को ब्रेक लेना पड़ा था.

इससे पहले आईपीएल 2020 के सीजन में फैंटेसी गेमिंग फर्म ड्रीम-11 टाइटल स्पॉन्सर रही थी. इसके लिए ड्रीम-11 ने बीसीसीआई को 222 करोड़ रुपए दिए थे. यह कॉन्ट्रैक्ट 18 अगस्त से 31 दिसंबर 2020 तक के लिए था. यह राशि वीवो के सालाना भुगतान की करीब आधी थी.

वीवो का आईपीएल टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए 2190 करोड़ रुपए के साथ 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट हुआ था. कंपनी सालाना 440 करोड़ रुपए देती थी. यह कॉन्ट्रैक्ट 2018 से 2022 तक का था. पहले खबर थी कि वीवो का कॉन्ट्रैक्ट 2023 तक के लिए बढ़ाया जा सकता है, लेकिन अब टाटा ने उसकी जगह ले ली है.

आईपीएल के सेंट्रल स्पॉन्सरशिप में देसी कंपनियों का ही बोलबाला है. सेंट्रल और टाइटल स्पॉन्सरशिप दोनों के अधिकार अलग-अलग हैं. आईपीएल में सेंट्रल स्पॉन्सरशिप के तहत जर्सी के अधिकार नहीं आते हैं. यानी जर्सी पर छपे लोगो पर केवल टाइटल स्पॉन्सरशिप का ही अधिकार होता है.

साथ ही कंपनी को अपनी ब्रांडिंग के लिए मैच के बाद का प्रेजेंटेशन एरिया, डग आउट में बैकड्रॉप और बाउंड्री रोप जैसे बढ़िया स्पेस मिलते हैं. टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से ज्यादा पैसा देना होता है.


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