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वूहान में कोरोना संकट के वक्त बने अस्पतालों का क्या है हाल! जानिए

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आपको याद होगा कि पिछले साल जनवरी-फरवरी महीने में कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए वूहान में दो अस्पताल निर्मित किए गए. लेइशनशान और हुओशनशान नाम के इन अस्पतालों को महज कुछ ही दिनों में तैयार कर दिया गया.

करीब 2,600 बिस्तरों वाले अस्पतालों को जल्द से जल्द बनाने के लिए चीन ने पूरी ताकत झोंक दी. चीनी निर्माण मजदूरों व बड़े-बड़े उपकरणों को रात-दिन काम करते देख दुनिया को भी आश्चर्य हुआ. लेकिन अब वूहान में स्थिति सामान्य हो चुकी है, तो ऐसे में इन अस्पतालों की क्या स्थिति है, यह जानने के लिए सीएमजी संवाददाताओं ने हाल ही में वूहान जाकर लेइशनशान अस्पताल क्षेत्र का दौरा किया.

शायद आप सभी के मन में भी जिज्ञासा होगी कि अब, जबकि चीन ने कोरोना महामारी पर लगभग नियंत्रण कर लिया है, तो इन अस्पतालों में क्या चल रहा होगा. जब हम शहर से दूर, च्यांगश्या जि़ले में स्थित लेइशनशान हॉस्पिटल के बाहर पहुंचे तो वहां सब कुछ शांत था. कहने का मतलब है कि अस्पताल को चारों ओर से तार-बाड़ व दीवारों से बंद किया हुआ है. इसके साथ ही वहां विभिन्न जगहों पर नोटिस बोर्ड लगाए गए हैं, जिनमें लिखा हुआ है इसके भीतर जाना प्रतिबंधित है.

वहीं कुछ ऐसे नोटिस भी लगे थे, जिनमें मरीजों को संक्रमण के हिसाब से अलग-अलग भर्ती क्षेत्रों में बांटा गया था, जिससे यह भी पता चलता है कि हल्के संक्रमित लोगों, गंभीर रूप से बीमार मरीजों व ठीक हो चुके लोगों को एक-दूसरे से दूर रखा गया था.

बताया जाता है कि इन अस्तपालों को तोड़ने की कोई योजना नहीं है, क्योंकि भविष्य में कोई भी स्वास्थ्य संकट या महामारी आने की स्थिति में इनका इस्तेमाल फिर से किया जा सकेगा. गौरतलब है कि लेइशनशान अस्पताल लगभग 18.5 एकड़ क्षेत्र, जबकि हुओशनशान हॉस्पिटल 8 एकड़ इलाके में फैला हुआ है.

यह कहने में कोई दो राय नहीं कि इन अस्पतालों ने वूहान और चीन में कोरोना संक्रमण को खत्म करने में बड़ा योगदान दिया. चौबीसों घंटे काम में लगे मजदूरों, इंजीनियरों और मशीनों की भूमिका भी कम महत्वपूर्ण नहीं है.

जैसा कि हम जानते हैं कि वूहान में पिछले कई महीनों से कोरोना संक्रमण का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है. वहां के नागरिकों का जीवन पहले की ही तरह सामान्य हो गया है. लेकिन भारत व अन्य देशों में आजकल महामारी तेजी से फैल रही है.

इस कारण अस्पतालों में बिस्तरों की कमी है, जिसे देखते हुए दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र व गुजरात आदि राज्यों में भी इसी तरह के अस्पताल निर्मित किए गए हैं, जिनमें कोरोना पीड़ितों का इलाज चल रहा है.

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