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जब त्रिवेंद्र सिंह अपने विकास कार्यों को खुद बता रहे थे, तब उन्हें सुनने वाला कोई नहीं था

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शुक्रवार को जब त्रिवेंद्र सिंह रावत बहुत ही बुझे मन से अपने 4 साल के विकास कार्यों को बता रहे थे तब उन्हें सुनने वाला कोई भी नहीं था. मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन ऐसा भी आएगा कि मेरे आसपास घूमने वाले भाजपा और अफसरों की बड़ी टीम मुझसे ही पीछा छुड़ा लेगी. बहरहाल त्रिवेंद्र सिंह रावत को अकेले ही अपने कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाई पड़ी.

त्रिवेंद्र ने कहा कि भाजपा सरकार में उन्हें करीब चार साल प्रदेश की जनता का सेवा का मौका मिला. उन्होंने कहा कि इस दौरान प्रदेश में विकास के लिए ऐतिहासिक कार्य किए गए, इसकी उन्हें पूरी संतुष्टि है. उन्होंने कहा कि ‘देवस्थानम बोर्ड’ 20 सालों के इतिहास में सबसे सुधारात्मक कदम है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हर साल चार धाम यात्रा पर लाखों श्रद्धालु देवभूमि आते हैं.

श्रद्धालु और यहां आने वाले यात्रियों को पर्याप्त व्यवस्थाएं मिले, मूलभूत सुविधाओं की कमी न हो, इसके लिए इस बोर्ड का गठन किया गया. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि चार साल पूरे होने से नौ दिन पहले तक प्रदेश में जितने भी विकास कार्य हुए, चाहे वह सड़क निर्माण के क्षेत्र में हों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो, अटल आयुष्मान योजना, गरीब जनता को एक रुपये में हर घर को नल से जल की योजना हो, शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्य हों, महिलाओं को पति की पैतृक संपत्ति में सहखातेदार बनाने और पहाड़ की महिलाओं के सिर से घास का बोझ खत्म करने के लिए लाई गई मुख्यमंत्री ‘घसियारी कल्याण योजना’ जैसै ऐतिहासिक कार्य किए गए.

जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने 4 साल के कार्यकाल की उपलब्धियां बताने के लिए पिछले कई महीनों से तैयारियों में जुटे हुए थे. योगी जैसा ही अपने 4 साल के कार्यकाल का जश्न त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उत्तराखंड में मनाना चाहते थे लेकिन ऐनमौके पर वे पार्टी के अंदर ही गुटबाजी का शिकार हो गए और मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके हाथ से खिसक गई, इसी के साथ उनके संजोए हुए सपने भी ध्वस्त हो गए.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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