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चाचा पशुपति कुमार पारस ने बताया आखिर क्यों खत्म होने की कगार पर एलजेपी, चिराग का ये एक फैसला है बड़ा कारण

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लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) दो गुटों में बंट गई है. चाचा और भतीजे के बीच पनपे विवाद से पार्टी में घमासान मचा हुआ है. अब पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान और चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस ने बताया है कि आखिर क्यों एलजेपी खत्म होने की कगार पर है. उन्होंने कहा कि हम एनडीए के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन वह (चिराग पासवान) इसके लिए राजी नहीं हुए. यही वजह है कि लोजपा खत्म होने की कगार पर है.

पत्रकारों से बातचीत करते हुए पारस ने कहा, ‘आप चिराग पासवान से जरूर पूछें कि उन्होंने मुझे प्रदेश अध्यक्ष पद से क्यों हटाया. सत्ता न होने पर भी उन्होंने ऐसा किया. हमने मेरी देखरेख में बिहार का चुनाव लड़ा और सभी 6 सांसद जीते. चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार हमें सर्वाधिक मत प्रतिशत प्राप्त हुआ.’

इससे पहले बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी को तोड़ने की कोशिश पहले भी हुई हैं. पापा ने अस्पताल में पूछा भी था कि मीडिया में ऐसी खबर क्यों आ रही है. मैंने चाचा से बात करने की कोशिश की. अंत अंत तक मैंने कोशिश की चाचा से बात करने की. मां ने भी कोशिश की. जब हाथ से सब निकल गया तब मैंने मीटिंग की. जिस तरीके से उन्हें सदन का नेता बनाया गया वो पार्टी के संविधान के खिलाफ है.

उन्हें गलत तरीके से लोकसभा में पार्टी का नेता चुना गया. सदन का नेता या तो एलजेपी का पार्लियामेंट्री बोर्ड चुनता है या अध्यक्ष चुनता है. अगर वो मुझसे कहते तो मैं उन्हें संसदीय दल का नेता बना देता. मैं शेर का बेटा हूं. अकेले चुनाव लड़ने पर नहीं डरा था. अब पापा ने जिस सोच से पार्टी बनाई थी उसे आगे बढ़ाऊंगा.

इसके अलावा पारस गुट ने चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया था, जिस पर उन्होंने कहा कि एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी के संविधान के हिसाब से दो ही परिस्थितियों में हटाया जा सकता है या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष की मृत्यु हो जाए या वो अपनी स्वेच्छा से अध्यक्ष का पद छोड़ दे. पार्टी के 6 में से 5 सांसदों ने चिराग को हटाकर पारस को संसदीय दल का नेता चुन लिया. बाद में चिराग पासवान ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की और सभी 5 सांसदों को बाहर कर दिया गया.

वहीं लोजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सूरजभान सिंह ने कहा कि दोनों (चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस) एक साथ आएंगे और 1 पार्टी में रहेंगे, इस मुद्दे को न भड़काएं. चिराग को समझना चाहिए कि उनके चाचा ने उनके अधीन काम किया है और अब उन्हें चाचा को नेतृत्व करने देना चाहिए.

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