Home ज्योतिष कल से शारदीय नवरात्र, इस बार नवरात्रि में बन रहे कई...

कल से शारदीय नवरात्र, इस बार नवरात्रि में बन रहे कई शुभ योग-9 दिनों तक की जाती है मां दुर्गा के स्वरूपों की उपासना

0
नवरात्रि

आज सर्वपितृ अमावस्या है. इस तिथि पर पितरों को तर्पण और श्राद्ध देते हुए विदाई दी जा रही है. पितृपक्ष के दौरान 16 दिनों तक पितरदेव स्वर्ग लोक से अपने परिजनों के बीच आते हैं और श्रद्धा पूर्वक भोजन ग्रहण कर तृप्ति होते हैं. सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष की आखिरी तिथि होती है.

इन 16 दिनों में किन्ही कारणों से कोई अपने दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर सके हैं तो वह आज आखिरी दिन तर्पण और श्राद्ध कर सकते हैं. इस दिन पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दक्षिणा देकर उन्हें विदा करना चाहिए, ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं.

सर्वपितृ अमावस्या को पूर्वज ‘आशीर्वाद’ देकर स्वर्ग लोक में वापसी करते हैं. 26 सितंबर, सोमवार से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएगी और 4 अक्टूबर तक रहेगी. इस बार कलश स्थापना के लिए 3 शुभ मुहूर्त हैं. चित्रा नक्षत्र और वैधृति नाम का अशुभ योग भी नहीं होने से स्थापना के लिए ज्यादा समय मिलेगा. इसी के साथ पितृ विसर्जन का समापन भी हो जाता है. सोमवार 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहे हैं.

जिसे लेकर माता के मंदिरों को सजाने संवारने का काम शुरू हो गया है. ‌वहीं दूसरी ओर एक पखवाड़े से सुस्त पड़ा बाजार भी सजने लगा है. ‌हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है. हिंदू धर्म में नवरात्रि तिथि का विशेष महत्व है.

नौ दिन का यह पर्व शक्ति से भरपूर होता है. मां दुर्गा के भक्तों के लिए यह दिन विशेष होता है. हिंदू धर्म में भी शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है. शारदीय नवरात्रि में देश में माता के जयकारे गूंजते हैं.

नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. नौ दिनों तक भक्त व्रत और उपवास करते हैं और श्रद्धा भाव से माता का पूजन करते हैं. मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त कलश स्थापना भी करते हैं.

मां दुर्गा इस दिन भक्तों के घर आती हैं ऐसे में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम और अशोक के पत्ते का तोरण लगाएं. 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएगी और 4 अक्टूबर तक रहेंगी. इस बार कलश स्थापना के लिए 3 शुभ मुहूर्त हैं. इस शक्ति पर्व के दौरान तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों से मिलकर दो सर्वार्थसिद्धि, एक द्विपुष्कर और तीन रवियोग बनेंगे.

चित्रा नक्षत्र और वैधृति नाम का अशुभ योग भी नहीं होने से स्थापना के लिए ज्यादा समय मिलेगा. मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योति रखी जाती है. इस दौरान लोग मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा करते हैं. इस नवरात्रि में कोई भी तिथि नहीं घट रही है.

इसलिए ये पर्व पूरे नौ दिनों का रहेगा. इनमें खास तिथियां जैसे दुर्गाष्टमी 3 अक्टूबर, महानवमी 4 अक्टूबर और दशहरा 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा. बता दें कि नवरात्रि पर सभी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं. घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि की शुरुआत होती है.

पहले दिन मां शैलपुत्री तो दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, तो पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है. छठे दिन मां कात्यायनी एवं सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. आठवें दिन महागौरी तो नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version