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डीजीसीए की नई गाइडलाइन्स, पर्वतीय क्षेत्रों में हेलिकॉप्टर क्रैश से बचने के लिए होगी खास ट्रेनिंग

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सांकेतिक फोटो

पर्वतीय क्षेत्रों में हेलिकॉप्टर क्रैश का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इसलिए अब हेलिकॉप्टर उड़ाने वाले पायलटों को पर्वतीय क्षेत्र में बार-बार होने वाली दुर्घटनाएं रोकने के लिए ज्यादा कड़े नियमों के आधार पर खास ट्रेनिंग दी जाएगी. ये जानकारी भारतीय विमानन नियामक ने दी. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के एक अधिकारी ने कहा कि साल 2022 में हुई घातक दुर्घटना को ध्यान में रखते हुए डीजीसीए ने संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस साल कई अतिरिक्त उपाय किए हैं.

उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय में केदारनाथ मंदिर के पास पिछले साल अक्टूबर में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना हुई थी, जिसमें छह तीर्थयात्रियों और पायलट की मौत हो गई थी. पहाड़ी क्षेत्रों में उड़ान सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बार-बार चिंता का विषय रहा है. अकेले केदारनाथ क्षेत्र में साल 1990 से 2019 के बीच कम से कम नौ हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं. जून 2013 में केदारनाथ त्रासदी के दौरान बचाव अभियान चलाते समय तीन हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे, जिसमें भारतीय वायु सेना के कर्मियों सहित 23 लोगों की मौत हो गई थी.

जुलाई 2013 में एक निजी हेलिकॉप्टर बाढ़ प्रभावित केदारनाथ से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसके पायलट और सह-पायलट की मौत हो गई थी. अप्रैल 2018 में केदारनाथ में उतरते समय वायुसेना के एक कार्गो हेलिकॉप्टर में आग लग गई थी, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई थी और तीन अन्य घायल हो गए थे.

अतिरिक्त पहाड़ी जांच
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि डीजीसीए ने इस यात्रा सीजन से 10,000 फीट की ऊंचाई पर हेलीपैड चलाने वाले पायलटों के लिए एक अतिरिक्त पहाड़ी जांच शुरू की है. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि इतनी अधिक ऊंचाई पर हेलीपैड पर काम करने वाले पायलटों को प्रशिक्षित किया जाए और उन्हीं स्थितियों में सुरक्षित संचालन के लिए उनकी जांच की जाए. जिससे सुरक्षा में वृद्धि हो सके.

4,200 शटल उड़ानें
उत्तराखंड में चार हिंदू तीर्थस्थलों को चारधाम के रूप में जाना जाता है. हर साल मई और सितंबर के बीच एक प्रसिद्ध तीर्थ यात्रा होती है. उन्हीं में से एक केदारनाथ है. सभी चारों मंदिर ऊंचाई पर स्थित हैं, जहां मौसम की स्थिति तेजी से बदलती रहती है. मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि इस वर्ष तीर्थयात्रियों की संख्या बहुत अधिक रही है. 25 अप्रैल से 19 मई की अवधि में करीब 23,000 यात्रियों को लाने-ले जाने वाली लगभग 4,200 शटल उड़ानें भरी जा चुकी हैं. हालांकि, पिछले सालों की तुलना में इस शुरुआती अवधि के दौरान मौसम विशेष रूप से खराब रहा है.

एआईआरएस का उपयोग अनिवार्य
अधिकारी ने कहा कि एविएशन रेगुलेटर ने एयरबोर्न इमेज रिकॉर्डिंग सिस्टम (एआईआरएस) के एक्टिवेशन का उपयोग करना भी अनिवार्य कर दिया है. ये इमेज रिकॉर्डिंग सिस्टम एक विशेष प्रकार के हेलिकॉप्टर में स्थापित होता है. हालांकि, सभी हेलिकॉप्टरों में यह सिस्टम नहीं होता है.

एआईआरएस कॉकपिट की वीडियो रिकॉर्डिंग और जीपीएस का उपयोग करके कुछ मापदंडों को रिकॉर्ड करता है. इसके साथ उड़ान उपकरण संकेत और अन्य मापदंडों को भी रिकॉर्ड करता है. इस सिस्टम से लैस उन हेलीकाप्टरों में अनिवार्य एक्टिवेशन से पायलटों के मानक संचालन प्रक्रियाओं का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए उड़ान पैरामीटर के बाद उड़ान के बाद के विश्लेषण का लाभ मिलता है.

हेलिकॉप्टर शटल सेवा
अधिकारियों ने कहा कि इस साल केदारनाथ यात्रा 25 अप्रैल से शुरू हुई थी. 20 से 23 अप्रैल तक निरीक्षण के बाद निदेशालय की तरफ से अनुमोदित सात संचालकों के जरिये उसी दिन हेलिकॉप्टर शटल सेवा भी शुरू की गई थी. नियामक इन अतिरिक्त उपायों पर तीर्थयात्रा के मौसम के दौरान नियमित रूप से जांच करने की योजना बना रहा है.

नौ सीसीटीवी कैमरे
डीजीसीए के अधिकारी ने पहले बताया था कि ये स्पॉट चेक डीजीसीए निरीक्षकों की तरफ से एसओपी के अनुपालन और ऑपरेटरों के जरिये अन्य सभी प्रासंगिक नियमों के अनुपालन के लिए अघोषित दौरे हैं. इस तरह की स्पॉट जांच डीजीसीए की ओर से उड़ान संचालन पर निरंतर निगरानी सुनिश्चित करती है और उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करती है. बता दें कि डीजीसीए के साथ उत्तराखंड सरकार ने भी रुद्रप्रयाग जिले में गुप्तकाशी से केदारनाथ में प्रत्येक हेलीपैड के आसपास नौ सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं. जिससे कि हवाई संचालन की बारीकी से निगरानी की जा सके.

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