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सावन माह-रक्षाबंधन विशेष: सावन के आखिरी सोमवार को रक्षाबंधन मना कर विदा होगा ‘सावन’

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रक्षाबंधन


अगर आप लोग अभी तक सावन माह में मस्ती नहीं कर पाए हैं तो अब देर न करें. क्योंकि आपके पास इस महीने का आनंद लेने के लिए मात्र एक दिन शेष रह गया है. सोमवार, तारीख 3 अगस्त को आपके लिए सावन का आखिरी दिन है. भले ही कल सावन माह का आखिरी दिन है लेकिन आपके लिए इस दिन खुशियां अपार भी हैं. एक ओर जहां भाई-बहन का अटूट पर्व रक्षाबंधन भी कल है.

वहीं दूसरी ओर श्रावणी पूर्णिमा और आखिरी सोमवार भी कल ही है. ऐसे में आपके लिए कल धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा. सावन माह का अंतिम सोमवार होने के कारण भोलेशंकर को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु जलाभिषेक करते हुए सुख समृद्धि की कामना करेंगे वहीं बहन भाई के पवित्र प्रेम के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन के दिन विशेष संयोग बन रहा है. इसीलिए यह शुभ संयोग बन रहा है.

इसी दिन सोमवती पूर्णिमा और उत्तरषाड़ा नक्षत्र का योग भी बन रहा है. इस तरह के योग को पूजा अर्चना के लिए शुभ फलदायी माना गया है. अभी तक आपने सावन माह को मिस नहीं किया है तो कल आप इसकी पूरी भरपाई भी कर सकते हैं. यानी कि हर पल आप भरपूर जी सकते हैं और इसका आनंद भी ले सकते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित भगवती प्रसाद गौतम नेे बताया भाई-बहन के स्नेह का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन इस बार बेहद खास होगा.

क्योंकि इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग बन रहा है. बताया कि ऐसा संयोग करीब 20 सालों में एक बार बनता है. इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा और ग्रहण का भी साया नहीं है. ऐसे में सुबह साढ़े नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक शुभ मुहूर्त में बहनें भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं. सोमवार को ही रक्षाबंधन पर्व मनाकर सावन माह भी अपनी विदाई ले लेगा.


इस बार भद्रा ग्रहण का नहीं है साया, यह है रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
इस बार रक्षाबंधन में भद्रा का ग्रहण नहीं है. ऐसे में कोई भी मांगलिक कार्य (शुभ कार्य) किया जा सकता है. रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त यह रहेगा, भद्रा सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक रहेगी इसके बाद पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का शुभ संयोग भी बन रहा है. इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों दीर्घायु होते हैं.

बता दें कि रक्षाबंधन सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है लेकिन इस बार यह सावन के आखिरी सोमवार को पड़ने से इसका धार्मिक महत्व और बढ़ गया है. दूसरी ओर हमारे देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार, बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. ऐसे में हमेशा की तरह बेहद हर्षोउल्लास और उत्साह के साथ मनाए जाने वाले रक्षाबंधन के पर्व पर भी, इस आपदा का ग्रहण लग गया है. पहले के मुकाबले इस बार रक्षाबंधन थोड़ा फीका रह सकता है.

रक्षाबंधन पर्व की पौराणिक कथाएं भी हैं
इस पर्व की पौराणिक कथाएं भी हैं, महाभारतकाल में जब श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया था तो उस समय उनकी ऊंगली कट गयी थी. यह देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्ला फाड़ कर उनकी ऊंगली पर बांध दिया था. इसे रक्षासूत्र की तरह देखा गया. इसके बाद श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को सदैव उनकी रक्षा करने का वचन दिया था. दूसरी ओर रक्षाबधन पर्व मनाने को लेकर इसका उल्लेख भविष्य पुराण में भी मिलता है.

इस कथा के अनुसार पौराणिक काल में, देवों और दानवों के बीच जब भयंकर युद्ध हुआ तो उस दौरान देवता असुरों से हारने लगे. तब सभी देव अपने राजा इंद्र के पास उनकी सहायता के लिए गए. असुरों से भयभीत देवताओं को देवराज इंद्र की सभा में देखकर, देवइंद्र की पत्नी इंद्राणी ने सभी देवताओं के हाथों पर एक रक्षा सूत्र बांधा. माना जाता है कि इसी रक्षा सूत्र ने देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ाया जिसके कारण वो बाद में दानवों पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे. कहा जाता है कि तभी से राखी बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई थी.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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