Home ताजा हलचल बिहार के शिक्षामंत्री अपनी ‘रामचरितमानस’ वाले बयान पर अड़े, भड़की बीजेपी

बिहार के शिक्षामंत्री अपनी ‘रामचरितमानस’ वाले बयान पर अड़े, भड़की बीजेपी

0
बिहार के शिक्षामंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर

बिहार के शिक्षामंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने एक बार फिर विवाद को आग देने का काम किया है. उन्होंने माफी की मांग के बीच एक और भड़काऊ बयान जारी कर दिया है. उनका कहना है कि वह अपनी बात पर कायम हैं. माफी उन लोगों को मांगनी चाहिए जिन्होंने अन्याय किया है.

दरअसल, चंद्रशेखर ने पटना में रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था. इस बयान को लेकर वह गहरे विवाद में फंसते जा रहे हैं. तमाम राजनीतिक पार्टियों ने उनपर निशाना साधा है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी इस बयान को लेकर ट्वीट कर सवाल खड़े किए हैं.

बीजेपी प्रवक्ता पूनावाला ने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री ने कहा ‘रामचरितमानस’ नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. कुछ दिन पहले जगदानंद सिंह ने राम जन्मभूमि को ‘नफरत की जमीन’ बताया था. यह संयोग नहीं है. यह वोट बैंक का उद्योग है ‘हिंदू आस्था पर करो चोट, ताकि मिले वोट’, सिमी और पीएफआई की पैरवी, हिंदू आस्था पर चोट.” क्या कार्रवाई होगी?

इस मामले में अयोध्या के महंत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने भी प्रतिक्रिया देते हुए एक बड़ी मांग की थी. उन्होंने मंत्री के पद को बर्खास्त करने की भी मांग की है. महंत ने बताया कि बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरितमानस ग्रंथ को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है. उससे पूरा देश आहत है. आगे कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री की जीभ काटने वाले को वो 10 करोड़ रुपये का इनाम देंगे.

क्या था चंद्रशेखर का बयान?

प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में पिछड़ों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा हासिल करने से रोकता है. यह उन्हें बराबरी का हक देने से रोकता है. चंद्रशेखर ने दावा किया कि बाबा साहब अंबेडकर भी मनुस्मृति के खिलाफ थे. मनुस्मृति के बाद रामचरितमानस ने नफरत के इस दौर को आगे बढ़ाया.

‘समाज में नफरत फैलाते हैं ऐसे ग्रंथ’
इस दौरान उन्होंने रामचरितमानस की दूसरी चौपाई ‘पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा’ सुनाई. इस चौपाई का अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा कि इस चौपाई का मतलब है ब्राह्मण चाहे कितना भी ज्ञान गुण से रहित हो, उसकी पूजा करनी ही चाहिए और शूद्र चाहे कितना भी गुणी ज्ञानी हो वह सम्माननीय हो सकता है लेकिन कभी पूजनीय नहीं हो सकता है. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर भले संविधान निर्माता बने हो लेकिन इस ग्रंथ के अनुसार वे पूजनीय नहीं हो सकते हैं. ऐसा ग्रंथ समाज में नफरत ही फैला सकता है.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version