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राजनीतिक चंदे पर चुनाव आयोग की टिप्पणी, दो हजार रुपए से अधिक का चंदा गुमनाम नहीं रह सकता

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निर्वाचन आयोग

आयकर विभाग ने हाल ही में सैकड़ों गैर मान्यताप्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों पर छापेमारी की थी. उन दलों पर आरोप है कि वो पार्टी की आड़ में ब्लैक को ना सिर्फ व्हाइट करने के खेल में शामिल थे.

बल्कि टैक्स भी अदा नहीं कर रहे थे और फायदा ले रहे थे. बताया जाता है कि चुनाव आयोग ने इस संबंध में इनकम टैक्स को चिट्ठी लिखी थी. अब चुनाव आयोग का स्पष्ट मानना है कि किसी भी राजनीतिक दल को 2000 रुपए से अधिक चंदे के बारे में जानकारी जरूर देनी चाहिए.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कानून मंत्री किरेन रिजिजू को लिखे एक पत्र, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने राजनीतिक फंडिंग को साफसुथरा करने के लिए लोगों के प्रतिनिधित्व ( RP Act 1951) अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव दिया.

पहला कदम गैर-मान्यता प्राप्त दलों के खिलाफ कार्रवाई करना था. अब आयोग मान्यता प्राप्त दलों के काम करने के तरीके और काले धन और कर चोरी पर कार्रवाई करने के तरीके में सुधार करने की कोशिश कर रहा है.

राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये या उससे अधिक के नकद चंदे का ब्योरा पोल वॉचडॉग को देना होगा, जिसमें वह संस्था भी शामिल है जिससे उन्होंने इसे प्राप्त किया था।चुनाव आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि प्रत्येक उम्मीदवार चुनाव उद्देश्यों के लिए एक अलग बैंक खाता खोलें.

यदि कोई उम्मीदवार पहले विधायक के रूप में चुनाव लड़ता है और फिर बाद में सांसद के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला करता है, तो प्रत्येक चुनाव के लिए दो अलग-अलग खाते खोलने होंगे.

मूल रूप से, प्रत्येक चुनाव लड़ने के लिए, उम्मीदवार को एक अलग बैंक खाता खोलना होगा. इस तरह आयोग उम्मीदवारों के खर्च की सीमा पर नजर रख सकता है और सिस्टम में पारदर्शिता ला सकता है.

आयोग ने पाया कि जहां कुछ पार्टियों ने कोई चंदा नहीं दिया. उनके अकाउंट ऑडिट में बड़ी मात्रा में प्राप्तियां दिखाई गईं जिससे यह साबित होता है कि बड़े पैमाने पर नकद में लेन-देन ₹20,000 की सीमा से कम है. चुनाव लड़ने वाले व्यक्तिगत उम्मीदवारों के खर्च में पारदर्शिता लाने और इस खर्च में “बदलाव” को दूर करने के लिए, आयोग ने जोर दिया है.

डिजिटल लेनदेन या अकाउंट पेयी चेक ट्रांसफर को एक इकाई के लिए 2,000 रुपये से ऊपर के सभी खर्चों के लिए अनिवार्य बनाया जाना चाहिए. चुनाव आचरण नियम, 1961 के नियम 89 में संशोधन करना होगा.

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