Home ताजा हलचल केरल सरकार राज्यपाल को चांसलर पद से हटाने के लिए लाएगी अध्यादेश

केरल सरकार राज्यपाल को चांसलर पद से हटाने के लिए लाएगी अध्यादेश

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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

तिरुवनंतपुरम| केरल कैबिनेट ने बुधवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद से हटाने के लिए एक अध्यादेश लाने का फैसला किया। माना जा रहा कि चांसलर यानी कुलाधिपति की जगह किसी विशेषज्ञ को लाने की योजना है. दरअसल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस्तीफा देने के निर्देश के बाद विवाद बढ़ता ही जा रहा है.

अब खबर है कि आगमी सत्र में केरल में राज्यपाल को चांसलर के पद से हटाने के लिए एक अध्यादेश पेश किया जाएगा. इतना ही न हीं, चांसलर की जगह पर एक विशेषज्ञ की नियुक्ती की भी बात की जा रही है. बता दें कि यूनिवर्सिटी के चांसलर यानी कुलाधिपति राज्यपाल होते हैं. इस बीच केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्यपाल व राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान को अदालत में मामले की सुनवाई होने तक उन कुलपतियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है, जिन्हें उन्होंने कारण बताओ नोटिस भेजा था.

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कुलाधिपति को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया और मामले की आगे की सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की. आऱिप खान ने विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्य के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. कुलपतियों ने नोटिस के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए दावा किया था कि यह अवैध और अमान्य है.

आरिफ खान ने अदालत को बताया कि सभी कुलपतियों ने उनके नोटिस का जवाब दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 21 अक्टूबर को एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसार, राज्य द्वारा गठित तलाश समिति को कुलपति पद के लिए अभियांत्रिकी विज्ञान क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के बीच से कम से कम तीन उपयुक्त व्यक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करनी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय उसने केवल एक ही नाम भेजा.

उस आदेश के आधार पर राज्यपाल ने कुलपतियों के इस्तीफे मांगे थे, जिनके नाम केवल नियुक्ति के लिए अनुशंसित थे. इनमें वे कुलपति भी शामिल थे जिन्हें एक समिति द्वारा चुना गया था, जिसमें राज्य के मुख्य सचिव सदस्य थे. आरिफ खान ने इसे यूजीसी के नियमों का उल्लंघन बताया था.

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