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प्रशांत किशोर का तंज- ‘नेताओं के अनपढ़ बेटे देख रहे सीएम बनने का सपना, सामान्य परिवार के बच्चें खा रहे ठोकर’

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राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर

बिहार में जब नीतीश कुमार और तेजस्वी की अगुवाई में सरकार बनी तो सबसे अधिक उम्मीद इन नौजवानों को थी जो सरकारी नौकरी की मांग कर रहे थे. लेकिन हजारों की संख्या में पटना की सड़कों पर धरना प्रदर्शन के लिए उतरे टेट और सीटेट पास कर चुके उम्मीदवारों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो सियासत शुरू हो गई.

नीतीश कुमार के कभी राजनीतिक सलाहकार रहे प्रशांत किशोर उनके खिलाफ सू राज यात्रा पर हैं जो करीब 3500 किमी की दूरी तय करेगी. बिहार की राजनीति में मंगलवार का दिन तेजस्वी यादव के लिए खुश करने वाला रहा जब नीतीश कुमार ने इशारा कर दिया कि 2025 का विधानसभा चुनाव किसकी अगुवाई में लड़ा जाएगा. इन सबके बीच प्रशांत किशोर ने तेजस्वी यादव पर बेरोजगारी के मुद्दे पर निशाना साधा.

प्रशांत किशोर ने कहा कि नेताओं के अनपढ़ बेटे सीएम बनने का सपना देख रहे हैं जबकि सामान्य परिवारों के शिक्षित लड़के नौकरी के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे पर धक्के खा रहे हैं. सरकार जिसने 10 लाख सरकारी नौकरियों का झूठा वादा किया वो आज बेरोजगार लड़कों पर लाठी बरसा रही है. बता दें कि पटना पुलिस ने मंगलवार को टेट और सीटेट उम्मीदवारों पर जमकर लाठियां भांजी. प्रतियोगी छात्र राज्य सरकार से भर्ती की मांग कर रह हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने वादा किया था कि वो 20 लाख नौकरियां सुनिश्चित करेंगे.

प्रशांत किशोर, जो राज्य में 3,500 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पर हैं, ने नीतीश कुमार द्वारा सत्तारूढ़ महागठबंधन (महागठबंधन) के अगले नेता के रूप में अपने डिप्टी तेजस्वी यादव का समर्थन करने के घंटों बाद यह टिप्पणी की. महागठबंधन की एक अहम बैठक में कुमार ने संकेत दिया कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के युवा नेता अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे.

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि बिहार की सियासत में जिस तरह से घटनाक्रम सामने आ रहे हैं उससे एक बात तो साफ है कि भ्रम की स्थिति बनी हुई है. अगर नीतीश कुमार ने 2025 में तेजस्वी की अगुवाई की बात कही तो निश्चित तौर पर वो अपने लिए राष्ट्रीय फलक पर पेश करना चाहते हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या वो तीसरा मोर्चा बना पाने में कामयाब होंगे. दरअसल पिछले कुछ महीनों में उनकी तरफ से कोशिश की गई हालांकि नतीजा सकारात्मक नहीं रहा. कांग्रेस का इतिहास रहा है कि अगर उसने कभी छोटे दलों को समर्थन देकर सरकार बनाने में मदद की तो उसकी मियाद छोटी रही है. इसके साथ ही अगर कोई तीसरा मोर्चा वजूद में आता है तो उसका दुल्हा कौन होगा. क्योंकि गैर बीजेपी गैर कांग्रेस की बात करने वाले ऐसे नेताओं की संख्या अधिक है जो खुद ड्राइविंग सीट पर बैठने की ख्वाहिश रखते हैं.


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