Home ताजा हलचल राहुल गांधी को झटका देकर गुजरात हाईकोर्ट ने क्या-क्या कहा, जानिए

राहुल गांधी को झटका देकर गुजरात हाईकोर्ट ने क्या-क्या कहा, जानिए

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राहुल गाँधी

मोदी सरनेम केस में राहत की आस लगाए राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है. गुजरात हाईकोर्ट ने मोदी सरनेम वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध करने संबंधी याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया.

गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की 2 साल की सजा को बरकरार रखा और सेशन कोर्ट के आदेश खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है. राहुल गांधी को झटका देते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि उसे ट्रायल कोर्ट के फैसले में दखल देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह बिल्कुल उचित है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का आपको दोषी ठहराने का आदेश उचित है और उक्त आदेश में हमें हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है. इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है. कोर्ट ने आगे कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं.

बता दें कि जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अंतिम आदेश पारित करेंगे.

राहुल गांधी के वकील ने 29 अप्रैल को सुनवाई के दौरान गुजरात उच्च न्यायालय में तर्क दिया था कि एक जमानती एवं गैर-संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम दो साल की सजा देने का मतलब है कि उनके मुवक्किल अपनी लोकसभा सीट खो सकते हैं.

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी.

फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. गुजरात हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं या फिर अपनी सांसदी को वापस बहाल करने की मांग नहीं कर सकते हैं. वह अब सुप्रीम कोर्ट में गुजरात हाईकोर्ट के खिलाफ याचिका दायर कर सकते हैं. अगर सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिलती है, तभी उनके लिए चुनाव लड़ने का रास्ता खुलेगा.

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