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पांच दिन में सिर्फ 97 मिनट दिन चली लोकसभा की कार्यवाही, 50 करोड़ स्वाहा

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भारतीय संसद

अडानी मुद्दे से लेकर कैम्ब्रिज में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के भाषण को लेकर संसद में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी के चलते रोजाना संसद की कार्यवाही स्थगति हो रही है. संसद की कार्यवाही पूरी तरह बंद है और शुरू होने के चंद मिनटों के बाद ही सदन स्थगित कर दिया जा रहा है. इससे संसद में जरूरी बिल भी रुक गए हैं और करोड़ों रुपये की बर्बादी भी हो रही है.

13 मार्च से 17 मार्च तक लोकसभा की कार्यवाही सिर्फ 42 मिनट ही चल पाई है. लोकसभा टीवी से रिसर्च की गई डेटा के मुताबिक 13 मार्च को 9 मिनट, 14 मार्च को 4 मिनट, 15 मार्च को 4 मिनट, 16 मार्च को 3.30 मिनट और 17 मार्च को करीब 22 मिनट ही सदन की कार्यवाही हो पाई है. पिछले 5 दिन में राज्यसभा की कार्यवाही 55 मिनट तक चली है. प्रतिदिन के हिसाब से अगर कार्यवाही को देखा जाए तो औसतन 11 मिनट. 13 मार्च को सबसे अधिक 21 मिनट तक संसद की कार्यवाही चली.

विपक्षी नेताओं की ओर से कार्य स्थगन के प्रस्ताव रोजाना दिए जा रहे हैं. इसके चलते सदन में हंगामा हो रहा है और स्पीकर को कार्यवाही स्थगित करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. वहीं, सत्ता पक्ष की ब्रिटेन में राहुल गांधी के बयान को लेकर उनकी माफी की मांग पर अड़ा हुआ है. इसे लेकर भी लगातार गतिरोध बना हुआ है. आज भी संसद में पुराना नजारा देखने को मिला. संसद की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया और दोनों सदनों को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया गया.

इससे पहले कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने अडानी समूह के व्यावसायिक हितों को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका की जांच करने के लिए एक जेपीसी गठित करने की आवश्यकता पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत व्यावसायिक नोटिस का निलंबन दिया था. वहीं, कांग्रेस सांसद नीरज दांगी, डॉ. अमी याज्ञनिक और सैयद नसीर हुसैन ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत कॉरपोरेट धोखाधड़ी के आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन करने में सरकार की विफलता पर चर्चा के लिए सस्पेंशन ऑफ बिजनेस नोटिस दिया. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिए गए भाषण के बारे में जानकारी मांगने के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को दिल्ली पुलिस द्वारा नोटिस देने का मामला उठाने के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया.

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि बीजेपी जेपीसी से क्यों डर रही है? अगर जेपीसी बनाई गई तो बीजेपी का नकाब उतर जाएगा और ऊपर से नीचे तक उन सभी का पर्दाफाश हो जाएगा जिन्होंने मध्यवर्ग और गरीबों का हक छीनकर अडानी की तिजोरी भरी थी. 13 मार्च से जो ड्रामा चल रहा है, वो बिना पीएम के इशारे के नहीं हो सकता. आज एक बार फिर संसद को चलने नहीं दिया गया. हम क्या मांग रहे हैं? आजादी के बाद के सबसे बड़े घोटाले की सिर्फ एक जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं.

सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि यह अजीब स्थिति है कि जब जनता परेशान है तब भी सरकार बयान नहीं दे रही है. हम पहली बार देख रहे हैं कि इतना गंभीर घोटाला होने पर भी सरकार कोई बयान नहीं दे रही है, जांच तो दूर की बात है. इसलिए वे निश्चित रूप से दोषी हैं. उन्हें डर है कि अगर जेपीसी जांच करेगी तो अडानी और केंद्र सरकार के बीच की सांठगांठ का पर्दाफाश हो जाएगा और असली अपराधी लोगों के सामने आ जाएगा. जनता गुस्से में है, उन्हें लगता है कि उनका पैसा डूब जाएगा.



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