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जानियें क्यों पूर्व विकेटकीपर सैयद किरमानी ने ऋषभ पंत की तुलना की ‘पालने के बच्चे’ से

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ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम को सीरीज जिताने में नायक रहे ऋषभ पंत की बल्लेबाजी की अक्सर तारीफ होती है, जबकि विकेट के पीछे के उनके प्रदर्शन की आलोचना होती है. भारत के पूर्व दिग्गज विकेटकीपर सैयद किरमानी ने ऋषभ पंत को बल्लेबाज के तौर पर ‘प्रतिभा का खजाना’ करार दिया, लेकिन विकेटकीपर के तौर पर इस खिलाड़ी की तुलना ‘पालने (झूला)’ के बच्चे से की.

भारतीय टीम के 71 साल के पूर्व विकेटकीपर ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘ऋषभ पंत प्रतिभा का एक खजाना हैं, वह नैसर्गिक तौर पर शॉट खेलने वाले बल्लेबाज हैं. लेकिन विकेटकीपर के तौर पर उन्हें बहुत कुछ सीखना है. उन्हें यह भी सीखना होगा कि कब बड़ा शॉट लगाना है, जैसा कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में किया था.’

पंत को विकेट कीपिंग के कुछ नुस्खे देते हुए किरमानी ने कहा, ‘उन्हें (पंत) विकेट कीपिंग में बुनियादी सही तकनीक की जरूरत है, जो उनके पास नहीं है. एक कीपर की क्षमता का अंदाजा तभी लगाया जाता है जब वह स्टंप्स के निकट खड़ा होता है
उन्होंने कहा, ‘वह दुनिया के सबसे तेज गेंदबाजों के खिलाफ अच्छा विकेटकीपिंग कर सकते हैं क्योंकि आपके पास पर्याप्त समय है, जहां आप स्विंग और गेंद का उछाल देखकर उस मुताबिक अनुमान लगा सकते है.’

भारत के लिए 1976 से 1986 के बीच 88 टेस्ट और 49 वनडे खेलने वाले किरमानी ने कहा कि बल्लेबाज के तौर पर पंत को परिस्थितियों के हिसाब से खेलना होगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि वह इसे सीखेंगे क्योंकि अभी काफी युवा हैं.
उन्होंने कहा, ‘ब्रिस्बेन में उसने काफी संतुलित पारी खेली, जिससे हम पहली बार वहां जीत दर्ज कर सके. ऐसे कई मौके थे जब पंत भारत को जीत दिला सकते थे, लेकिन उन्होंने अपना विकेट गंवा दिया.
किरमानी ने माना कि इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच की शुरुआती पारी में भी पंत ने गलत समय अपना विकेट गंवा दिया. पंत ने इस पारी में 88 गेंदों में 91 रन बनाए थे. इस मैच का इंग्लैंड ने 227 रनों से अपने नाम किया.

उन्होने कहा, ‘यहां भी यही हुआ, जब कोई बल्लेबाज 80 रनों के करीब पहुंचता है तो उसकी कोशिश शतक पूरा करने की होती है, इसके लिए आपको जोखिम लेने से बचना होता है. आप यह नहीं कह सकते कि शॉट खेलना आपका नैसर्गिक खेल है, आपको परिस्थितियों के मुताबिक खेलना होता है.’

किरमानी ने हालांकि ऑस्ट्रेलिया में उनकी बल्लेबाजी की तारीफ की. जहां सिडनी में उनकी 97 रनों की पारी से भारत मैच ड्रॉ कराने में सफल रहा और ब्रिस्बेन में उनकी नाबाद 89 रनों की पारी से मैच और श्रृंखला जीतने में सफल रहा.

उन्होंने कहा, ‘मुझे ऑस्ट्रेलिया में उनका खेल पसंद आया, वह संतुलित थे. जहां रक्षात्मक खेल की जरूरत थी, वहां उसने रक्षात्मक खेला और जहां आक्रामक खेल की जरूरत थी, वहां वह खुल कर खेले. उन्हें हर पारी को ऐसे ही खेलना होगा.’

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