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पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने यूकेएसएसएससी पेपर लीक और विधानसभा में हुई भर्तियों पर अपनी सरकार पर उठाए सवाल

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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में पेपर लीक, सचिवालय भर्ती रक्षक परीक्षा और विधानसभा में बैकडोर से भर्तियों का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इन तीनों भर्तियों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जबरदस्त किरकिरी हुई है. ‌पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इन तीनों भर्तियों में हुई धांधली और भ्रष्टाचार को लेकर मोर्चा खोल रखा है. ‌वहीं विपक्षी दल कांग्रेस सरकार पर लगातार सवाल उठा रही है. ‌

पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बीच टकराव की खबरें भी आई थी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी यूकेएसएसएससी, सचिवालय भर्ती रक्षक परीक्षा और विधानसभा में भाजपा नेताओं के चहेते और रिश्तेदारों को मिली नौकरी को लेकर सख्त रवैया अपनाए हुए हैं. ‌सीएम धामी ने कहा कि इन सभी भर्तियों की निष्पक्ष जांच की जाएगी. सचिवालय भर्ती रक्षक परीक्षा में बहुत ही चालाकी से पेपर लीक किया गया. ‌‌

आज एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यूकेएसएसएससी पेपर लीक और विधानसभा नियुक्तियों के मामले में सीबीआई जांच कराने की. ‌ ‘उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे ही जनप्रतिनिधि अगर संवैधानिक मर्यादाओं को तोड़ेंगे तो कानून की रक्षा कौन करेगा’.

उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. क्या जनता जनप्रतिनिधियों को इसलिए चुनती है कि आप अपने रिश्तेदारों का भला करें. उन्होंने कहा कि यह भर्ती कर्मचारी सेवा नियमावली के भी खिलाफ हैं. एक कार्यक्रम में हरिद्वार पहुंचे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में हुई विभिन्न भर्ती घोटालों पर अपनी बेबाक राय रखी. ‌उन्होंने कहा कि सरकारी खजाने का पैसा जहां भी जा रहा है, उसमें पूर्ण पारदर्शिता होनी चाहिए.

बता दें कि उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा में आयोजित परीक्षा में अब तक 30 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. बता दें कि, विधानसभा में भर्ती के लिए जमकर भाई भतीजावाद किया गया है. विधानसभा भर्ती अनियमितता मामले में मुख्यमंत्री आवास से लेकर मंत्रियों और संघ से जुड़े लोगों के करीबियों को विधानसभा में नियुक्ति दी गई थी. विधानसभा में 72 लोगों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री के स्टॉफ विनोद धामी, ओएसडी सत्यपाल रावत से लेकर पीआरओ नंदन बिष्ट तक की पत्नियां विधानसभा में नौकरी पर लगवाई गई हैं.

यही नहीं मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के पीआरओ की पत्नी और रिश्तेदार को भी नौकरी दी गई है. मदन कौशिक के एक पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा ने विधानसभा में नौकरी पाई है तो दूसरे की पत्नी आसानी से विधानसभा में नौकरी लेने में कामयाब हो गई. बिना किसी परीक्षा के पिक एंड चूज के आधार पर सतपाल महाराज के पीआरओ राजन रावत की भी विधानसभा में नौकरी पर लग गए.

इसके अलावा रेखा आर्य के पीआरओ और भाजपा संगठन महामंत्री के करीबी गौरव गर्ग को भी विधानसभा में नौकरी मिली है. मामला इतना ही नहीं है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े पदाधिकारियों के करीबी और रिश्तेदार भी विधानसभा में एडजस्ट किया गया है.

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा को भी नियुक्ति दी गई. उत्तराखंड आरआरएस के कई नेताओं के सगे संबंधियों को भी नियुक्ति मिली.

वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है इस लिहाजा वे विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में बात करेंगे. सरकार इसको लेकर होने वाली जांच में पूरा सहयोग करेगी. हालांकि न केवल भाजपा सरकार के दौरान हुई भर्तियों बल्कि पुरानी भर्तियों की भी सरकार जांच करवाने के मूड में है.

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