उत्तराखंड में भूस्खलन का खतरा कम करने के लिए GSI लाएगा अर्ली वार्निंग सिस्टम, चार संवेदनशील जिलों में जल्द शुरू होगा परीक्षण

उत्तराखंड में भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने राज्य में अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित करने की योजना बनाई है। इस पहल के तहत, जीएसआई ने राज्य सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस प्रणाली का उद्देश्य भूस्खलन की घटनाओं से पहले चेतावनी प्रदान करना है, ताकि समय रहते बचाव कार्य किए जा सकें।

प्रारंभिक चरण में, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और टिहरी जिलों में इस अर्ली वार्निंग सिस्टम की स्थापना की जाएगी। जीएसआई के उप महानिदेशक डॉ. सीडी सिंह ने बताया कि इस प्रणाली के तहत, भूस्खलन की संभावित घटनाओं के बारे में पहले से जानकारी प्राप्त होगी, जिससे प्रशासन और नागरिकों को समय रहते सतर्क किया जा सकेगा। इसके लिए, जीएसआई ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित मॉडल विकसित किया है, जो भूस्खलन की भविष्यवाणी में सहायक होगा। यह प्रणाली 2030 तक पूरे देश में लागू करने की योजना है।

इस पहल से राज्य में भूस्खलन की घटनाओं से होने वाली जान-माल की हानि को कम करने में मदद मिलेगी और आपदा प्रबंधन में सुधार होगा।

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