खूबसूरत उत्तराखंड में अब प्राकृतिक आपदाएं डराने लगी, तीसरे दिन लापता लोगों को तलाशते परिजन

उत्तराखंड (देवभूमि) अपने सौंदर्य, सुकून, शांति, खूबसूरत प्राकृतिक नजारों के साथ धार्मिक स्थलों के लिए देश-विदेशों में अपनी अलग पहचान के लिए जाना जाता है। यहां नदियों का कल-कल बहता पानी लोगों का मन मोह लेता है. लेकिन उत्तराखंड जितना खूबसूरत है उतना ही अब डरावना भी बनता जा रहा है.

विशेष तौर पर मानसून के सीजन पर यह राज्य सबसे कठिन दौर से गुजरता है. कुदरत का कहर आफत बनकर बरस रहा है. नदियां खूंखार हो चुकी है, पहाड़ दरक रहे हैं. उत्तराखंड के पहाड़ों के साथ मैदानी क्षेत्रों का भी हाल बेहाल है. कई जगहों पर बादल फटने के बाद तबाही बरसी है. अभी कुछ समय पहले पहाड़ी क्षेत्र के जिलों में ही बादल का फटना और सैलाब का आना बना रहता था. लेकिन अब यह उत्तराखंड के मैदानी एरिया में भी ऐसी घटनाएं होने लगी है.

2 दिन पहले शनिवार तड़के एक बार फिर प्राकृतिक आपदा ने पूरे राज्य में दहशत फैला दी. बादलों ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में जमकर कहर बरपाया. रायपुर में मूसलाधार बारिश और बादल फटने से बड़ी तबाही हुई. भारी बारिश के बाद आया सैलाब कई जिंदगी बहा ले गया.

इसमें कई घर जमींदोज हो गए .‌‌ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुद मोर्चा संभालना पड़ा था. बादल फटने की घटनाओं के दौरान कई जगह दैवीय आपदा के दंश देखे गए. इस आपदा में देहरादून, टिहरी और पौड़ी में 7 लोगों की जान चली गई. जबकि 13 लोग लापता हो गए. इसके अलावा जिलों में 50 से अधिक आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

पूरे क्षेत्र में खामोशी छाई हुई है. टिहरी जिले से लगी बांदल घाटी में शुक्रवार की देर रात कुदरत ने यहां के छह से आठ गांवों में ऐसा कहर बरपाया कि हर कोई सिहर उठा है. तीसरे दिन भी लोग लापता हुए अपनों की खोजबीन में लगे हुए हैं. ‌एक बार फिर इस विनाशकारी आपदा ने देवभूमि के लोगों को गहरे घाव दे दिए हैं, जिन्हें भरने में लंबा वक्त लगेगा.

पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और परिजन लापता हुए लोगों की तलाश में लगे हुए हैं. लेकिन अब उम्मीद बहुत कम बची है. पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने राहत आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा ले रहे हैं. उत्तराखंड में बादल फटने की बढ़ रही घटनाओं ने राज्य सरकार के साथ वैज्ञानिकों को भी चिंता में डाल रखा है.

मौजूदा स्थितियों के पीछे के कारणों को जानने के लिए अब वैज्ञानिकों की टीम भी जुट गई हैं, ताकि कुछ चिन्हित क्षेत्रों में बार बार बादल फटने की घटनाओं की वजह को जाना जा सके.

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