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अंकिता भंडारी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा- मौत से पहले शरीर पर चोट के निशान, डूबने से गई जान

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अंकिता भंडारी

अंकिता भंडारी की प्रोविजनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. तीन डॉक्टर्स के पैनल ने जो रिपोर्ट दी है उसके मुताबिक अंकिता के शरीर पर चोट के कई निशान हैं. ये सभी निशान मौत से पहले के हैं.

हालांकि शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक अंकिता की मौत पानी में डूबने की वजह से हुई. लेकिन इतना तो साफ है कि आरोपियों ने अंकिता को बेरहमी से पीटा और उसके बाद नहर में फेंक दिया. डिटेल पोस्टमार्टम रिपोर्ट रविवार आएगी.

वहीं अंकिता का अंतिम संस्कार रविवार को श्रीनगर स्थित उनके पैतृक गांव में किया जाएगा. अंतिम संस्कार में सीएम धामी भी शामिल हो सकते हैं. अंकिता हत्याकांड को लेकर पूरे उत्तराखंड में आक्रोश है, आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग लगातार उठ रही है.

वहीं रविवार श्रीनगर गढ़वाल में अलकनंदा किनारे पर अंकिता भंडारी के अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने के आसार हैं इसीलिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. श्रीनगर गढ़वाल में भारी पुलिस फोर्स तैनात है.

खड़े हुए कई सवाल
एक बेटी के साथ जो हुआ उससे पूरे पहाड़ में उबाल है, आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग भी लगातार की जा रही है. अंकिता केस में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं उससे गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं

पुलिस भी सिर्फ पुलकित आर्य की बताई थ्योरी पर ही सबकुछ कर रही है?
एक सवाल ये भी है कि क्या सत्ताधारी दल के नेता का बेटा होने की वजह से राजस्व पुलिस ने पुलकित को बचाने की कोशिश की?
सवाल इस बात को लेकर भी है कि क्या पटवारी को हत्या की बात पहले से पता थी और उसने ये जानकारी छिपाने में पुलकित की मदद की?
सवाल सरकार की बुलडोजर वाली कार्रवाई को लेकर भी उठ रहे हैं. आरोप लगाया जा रहा है कि सबूत मिटाने के लिए रात के अंधेरे में बुलडोजर चला दिया

जांच में हुई लापरवाही
अंकिता की हत्या जिस वजह से की गई इसे लेकर भी अब तक जो खुलासे हुए हैं वो हैरान और परेशान करने वाले हैं. खासतौर पर उत्तराखंड में बहन, बेटियों की हिफाजत को लेकर बड़ा सवाल उठने लगा हैं.

हालांकि मामला उजागर होने के बाद अब सरकार कड़ी कार्रवाई का दावा कर रही है. सरकार अब तमाम दावे तो कर रही है लेकिन जिस तरह उत्तराखंड की एक बेटी की हत्या की गई और जिस तरह शुरुआती दिनों में जांच को लेकर लापरवाही बरती गई उससे कई सवाल उठ रहे हैं.

इन सवालों का जवाब कब मिलेगा ये तो नहीं मालूम लेकिन इतना तय है कि शांत प्रदेश समझा जाने वाला उत्तराखंड भी अब गुहनगारों की नज़रों में खटकने लगा है. इसीलिए उनमें इस तरह की घिनौनी और दिल दहलादेने वाली वारदातों को अंजाम देने की हिम्मत आ रही है.

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