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यही रुकी थी शिव बरात, पानी गिरने से बनती हैं आकृतियां, गौरी उडियार की है कई खासियत

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बागेश्वर| प्रकृति ने बागेश्वर को अपार सौंदर्य प्रदान किया है। जिले के कई ऐसे धार्मिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण स्थल हैं, जो प्रसिद्ध होते हुए भी पर्यटन की दृष्टि से अनछुए हैं। ऐसे ही स्थलों में शामिल है गौरीउडियार गुफा। बागेश्वर जिले से मात्र आठ किमी की दूरी पर स्थित इस गुफा को प्रकृति का अनमोल खजाना कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

बावजूद इसके शासन और प्रशासन की नजर-ए-इनायत नहीं हुई है। देश, राज्य तो छोड़िये गौरीउडियार गुफा को बागेश्वर के पर्यटन मानचित्र पर भी स्थान नहीं मिल सका है। गौरीउडियार गुफा बागेश्वर के पुरकोट गांव से बहने वाली गौरी नदी के किनारे स्थित है।

गुफानुमा धार्मिक स्थल में भगवान शिव, माता पार्वती, बजरंग बली और भैरव जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सदियों पूर्व इस गुफा का निर्माण हुआ होगा। दंतकथाओं में इस गुफा का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से जोड़ा जाता है।

कुमाऊंनी में उडियार शब्द गुफा के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जबकि माता पार्वती को गौरी के नाम से भी संबोधित किया जाता है। इसके चलते इस गुफा को गौरी मैय्या के मंदिर के नाम से प्रसिद्धि मिली है। पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न होकर बरात वापस कैलाश की ओर जा रही थी तो इसी स्थान पर बरात ने पड़ाव डाला था।

आज भी गुफा परिसर में एक विशाल पत्थर है, जिसे पार्वती या गौरी की डोली के नाम से जाना जाता है। वहीं कुछ आकृतियों को बरात विश्राम के दौरान के अवशेष के रूप में पहचाना जाता है।

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