उत्तराखंड के धार्मिक स्थल बद्रीनाथ में सोमवार को अलकनंदा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे तप्त कुंड और वराह शीला तक पानी पहुंच गया। इससे श्रद्धालुओं में हड़कंप मच गया और तटवर्ती धार्मिक स्थलों को पानी से बचाने की कवायद तेज़ हो गई ।
रात लगभग 4 बजे से ही नदी का बहाव तेज हो गया, और अगले चार घंटे तक यह जलस्तर स्थिर नहीं हो पाया। इससे तप्त कुंड के आस-पास स्थित कुण्ड को खाली कराकर श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया । ब्रह्मकपाल और नारद शिला समेत अन्य तीर्थस्थलों की रक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन सतर्क हो गया ।
श्रद्धा और पारंपरिक तट संरक्षण प्रणाली के अलावा, अधिकारियों ने बताया कि मुख्य कारण क्षेत्र में चल रहे उत्खनन कार्य से निकला मलबा हो सकता है, जिसने नदी का प्रवाह संकरा कर दिया था। इससे नदी का जलस्तर “खतरे के निशान” से ऊपर चला गया और नजदीकी धार्मिक स्थलों को जलप्रवाह का सामना करना पड़ा ।
चमोली जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि उन्हें समय पर अलर्ट मिल गया था और क्षति की कोई सूचना नहीं है। लेकिन उन्होंने नदी किनारे रहने वाले लोगों और तीर्थयात्रियों से सतर्क रहने की अपील की है ।
विशेषज्ञों और स्थानीय पुजारियों का कहना है कि गहरी घाटियों में हो रहे निर्माण कार्यों और मानसून के उफान को देखते हुए—विशेष परियोजनाओं जैसे मास्टर प्लान के तहत—जलवायु पुनरावलोकन तथा नदी तट बचाव व्यवस्था की अविलंब समीक्षा की जानी चाहिए। इससे भविष्य में बड़े हादसों की संभावना को टाला जा सकेगा ।