संयुक्त राष्ट्र| संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गाजा में तुरंत युद्ध विराम और मानवीय सहायता पर लगी सभी पाबंदियों को हटाने की मांग करने वाला एक प्रस्ताव अमेरिका ने वीटो कर दिया है.
सुरक्षा परिषद के 10 निर्वाचित सदस्यों द्वारा बुधवार को पेश किए गए इस मसौदा प्रस्ताव को परिषद के 15 में से 14 सदस्यों का समर्थन मिला, जबकि वीटो पावर वाले अमेरिका ने इसके खिलाफ मतदान किया.
मसौदा प्रस्ताव में हमास और अन्य समूहों द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई, साथ ही गाजा में मानवीय सहायता के प्रवेश पर सभी प्रतिबंधों को तत्काल और बिना शर्त हटाने की मांग की गई थी.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के वीटो की सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आलोचना की. चीन के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि फू कांग ने कहा कि चीन बुधवार के मतदान के परिणाम से बहुत निराश है.
उन्होंने कहा कि मसौदा प्रस्ताव में गाजा के लोगों की सबसे जरूरी मांगें शामिल थीं और यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आवाज को दर्शाता है.
उन्होंने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक बार फिर अपने वीटो अधिकार का दुरुपयोग किया, जिससे गाजा के लोगों की उम्मीद की किरण बुझ गई और 20 लाख से अधिक लोगों को अंधेरे में छोड़ दिया गया. इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सवालों का सामना करना होगा.
फू ने वोट के स्पष्टीकरण में कहा कि बुधवार का मतदान परिणाम एक बार फिर दर्शाता है कि गाजा में संघर्ष को रोकने में सुरक्षा परिषद की असमर्थता का मूल कारण अमेरिका द्वारा बार-बार बाधा डालना है, जिसने युद्धविराम के लिए परिषद के अनुरोध को कई बार वीटो किया है. साथ ही, इजरायल को बचाने के कारण परिषद द्वारा पारित कई प्रस्ताव प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो सके.
उन्होंने कहा, एक स्थायी सदस्य के वीटो से शांति की दिशा में बढ़ना नहीं रुक सकता. हम अमेरिका से आग्रह करते हैं कि वह सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का सामना करे. साथ ही अपनी राजनीतिक गणनाओं को छोड़े और एक निष्पक्ष तथा जिम्मेदार रवैया अपनाए, ताकि परिषद सभी आवश्यक कदम उठा सके.
ब्रिटिश संयुक्त राष्ट्र राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा कि उनके देश ने मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, क्योंकि गाजा की असहनीय स्थिति को खत्म करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि गाजा में अपने सैन्य अभियान का विस्तार करने और पट्टी में सहायता को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करने के इजरायली सरकार के फैसले ‘अनुचित, असंगत और प्रतिकूल’ हैं और ब्रिटिश सरकार उनका पूरी तरह से विरोध करती है.
वुडवर्ड ने कहा, इजरायली सरकार का कहना है कि उसने नई प्रणाली के तहत सहायता पहुंच खोल दी है, लेकिन भूखे पेट अपने परिवारों को खिलाने की कोशिश कर रहे फिलिस्तीनियों को उन कुछ सहायता स्थलों पर मार दिया गया, जिन्हें इजरायल ने अनुमति दी थी. यह अमानवीय है.