मानसून की सीजन हिमाचल प्रदेश समेत सभी पहाड़ी राज्यों के लिए किसी आपदा से कम नहीं होता. क्योंकि मानसून की सीजन में इन राज्यों में भारी बारिश के चलते भूस्खलन और बाढ़ से भारी तबाही मचती है. इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. हिमाचल प्रदेश में इस बार भी मानसून ने भारी तबाही मचाई. भूस्खलन और बाढ़ की मार से टूट चुके हिमाचल प्रदेश को पटरी पर लौटने में अभी समय लगेगा.
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार हिमाचल प्रदेश में 448 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 20 जून से 21 सितंबर के बीच, भूस्खलन, अचानक बाढ़ और बादल फटने सहित विभिन्न वर्षाजनित हादसों में 261 लोगों की मौत हुई है. इसके साथ ही राज्य के पहाड़ी इलाकों में सड़क दुर्घटनाओं में 187 लोग मारे गए हैं.
एसडीएमए के मुताबिक, इस बार लगातार हुई बारिश के कारण हुई मौतों में भूस्खलन सबसे घातक रहा है. जिसमें 53 लोगों की जान गई है, इसके बाद डूबने से 41 और बादल फटने से 18 लोगों की मौत हुई है. जबकि बिजली का झटका लगने और घर गिरने तथा खड़ी ढलानों से गिरने जैसी अन्य घटनाओं ने भी मृतकों की संख्या को और बढ़ा दिया है. इस बार के मानसून से मंडी और चंबा सबसे बुरी तरह प्रभावित जिलों में शामिल हैं. जहां दोनों जिलों में 40-40 से ज्यादा लोगों की जान गई है.
वहीं राज्य की दुर्गम पहाड़ी सड़कों के मृतकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है. जबकि पहाड़ी इलाकों में हुई सड़क दुर्घटनाओं ने इसे और बढ़ा दिया. चंबा, मंडी, शिमला, सोलन और कांगड़ा ज़िलों में सबसे ज़्यादा मौतें हुईं. चंबा और मंडी में 24-24 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जबकि शिमला और सोलन में 25-25 मौतें हुईं हैं. कम आबादी वाले किन्नौर में सड़क दुर्घटनाओं में 15 लोगों की जान गई है.
इसके साथ ही इस बार मानसून ने राज्य के बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचाया है. एसडीएमए की मानें तो इस बार मानसून से कुल अनुमानित नुकसान 4,841.79 करोड़ रुपये से ज्यादा का हुआ है. जो एक चौंका देने वाला आंकड़ा है जो राज्य में विनाश के पैमाने को दर्शाता है. अकेले लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने 2,981 करोड़ का नुकसान बताया, जिसमें ज़्यादातर सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं. इसके अलावा, जलापूर्ति योजनाओं और बिजली के बुनियादी ढांचे को क्रमशः 1,463 और 1,394 करोड़ का नुकसान हुआ है.