अमेरिका द्वारा H-1B वीज़ा के लिए $100,000 शुल्क की घोषणा के बाद भारतीय आईटी उद्योग में हलचल मच गई थी। हालांकि, व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क केवल नए आवेदनों पर लागू होगा और मौजूदा वीज़ा धारकों या नवीनीकरणों पर इसका असर नहीं पड़ेगा। इससे भारतीय कंपनियों को राहत मिली है और वे अमेरिका में स्थानीय भर्तियों को बढ़ाने की योजना बना रही है।
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ़्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज़ (NASSCOM) के अनुसार, भारतीय कंपनियाँ पहले ही H-1B वीज़ा पर अपनी निर्भरता कम कर चुकी हैं और स्थानीय भर्तियों में वृद्धि कर रही हैं। उदाहरण के लिए, 2015 में इन कंपनियों को जारी किए गए H-1B वीज़ा की संख्या 14,792 थी, जो 2024 में घटकर 10,162 रह गई ।
इसके अतिरिक्त, उद्योग ने अमेरिका में स्थानीय कौशल विकास और भर्तियों पर $1 बिलियन से अधिक खर्च किया है। NASSCOM का कहना है कि 2026 से लागू होने वाला यह शुल्क कंपनियों को स्थानीय कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ाने और स्थानीय भर्तियों को बढ़ाने का समय प्रदान करेगा ।
हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह नीति दीर्घकालिक में लागत दबाव और लाभप्रदता पर असर डाल सकती है, विशेषकर तब जब कंपनियाँ अमेरिका में अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता महसूस करेंगी ।