बंटवारा भारत के इतिहास के सबसे काला हिस्सा है. बंटवारे ने करोड़ों लोगों की जिंदगियां उजाड़ दी. लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. हम आज भले ही आजादी का जश्न मनाते हैं लेकिन असलियत में इसका दर्द और जख्म बहुत गहरा है. बंटवारे के दर्द को हर एक देशवासी तक पहुंचाने के लिए एनसीईआरटी ने एक नया मॉड्यूल जारी किया है. इससे छात्र विभाजन के कारण और इसके जिम्मेदारों को जान पाएंगे.
नए मॉड्यूल में विभाजन का जिम्मेदार तीन लोगों को ठहराया गया है. पहला- मोहम्मद अली जिन्ना, दूसरा- कांग्रेस और तीसरा लॉर्ड माउंटबेटन. अब तक विभाजन का जिम्मेदार सिर्फ जिन्ना को बताया गया लेकिन विभाजन की कहानी को व्यापक रूप से बताया जाएगा. एनसीईआरटी अब इतिहास को जस की तस पेश करने वाला है.
नए मॉड्यूल में कहा गया है कि विभाजन जरूरी नहीं था लेकिन गलत विचारों के कारण भारत का बंटवारा हुआ. कांग्रेस ने देश में संघर्ष और गृहयुद्ध की स्थिति से बचने के लिए विभाजन स्वीकार किया. जवाहरलाल नेहरू ने इसे बहुत खराब परिस्थिति लेकिन गृहयुद्ध से बेहतर किया. नए मॉड्यूल में कहा गया कि महात्मा गांधी ने विरोध किया लेकिन सिर्फ शांतिपूर्ण. वहीं, पाटिल ने इसे कड़वा इलाज के रूप में देखा.
माउंटबेटन अंग्रेजों के भारत छोड़ने की प्रोसेस को तेज करना चाहते हैं. उन्होंने पहले जून 1948 की जगह 15 अगस्त 1947 की तारीख चुनी. उनकी जल्दबाजी ने विभाजन में हिंसा बढ़ाई थी. रेडक्लिफ स्ट्रिप प्लानिंग अधूरी थी और लाखों लोगों को यही समझ में नहीं आया कि उनका गांव पाकिस्तान में है या फिर भारत में. नए मॉड्यूल में इसे विभाजन की त्रासदी बताई गई है.
Partition Horrors Remembrance Day यानी 14 अगस्त पर एनसीईआरटी ने ये विशेष मॉड्यूल जारी किया था. एनसीईआरटी ने कक्षा 6 से 8 और कक्षा 9 से 12 के लिए अलग-अलग मॉड्यूल जारी किए हैं.