देश को जल्द ही नया आरबीआई डिप्टी गवर्नर मिलने वाला है. केंद्र सरकार ने आरबीआई (RBI) में एक अहम नियुक्ति करते हुए शिरीष चंद्र मुर्मू को नए डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है. वे 9 अक्टूबर 2025 से अपना कार्यभार संभालेंगे और उनका कार्यकाल तीन वर्षों के लिए तय किया गया है. शिरीष चंद्र मुर्मू की यह नियुक्ति एम. राजेश्वर राव के स्थान पर की गई है, जो 8 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
शिरीष चंद्र मुर्मू इस समय आरबीआई में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में कार्यरत हैं और सुपरविजन डिपार्टमेंट की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं. उन्हें बैंकिंग निरीक्षण, नियामक अनुपालन, प्रशासनिक नीति और अंतर-विभागीय समन्वय जैसे क्षेत्रों में गहरा अनुभव प्राप्त है. उन्होंने आरबीआई के अंदर विभिन्न संस्थागत और संरचनात्मक कार्यों में भी योगदान दिया है, जिससे उन्हें शीर्ष पद के लिए उपयुक्त माना गया.
आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, उन्होंने उच्च स्तरीय प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ नीतिगत दिशा-निर्देशों और उनके क्रियान्वयन में भी अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने विभागों के बीच समन्वय और आंतरिक प्रशासन सुनिश्चित करने के काम को भी सफलतापूर्वक अंजाम दिया है.
चार डिप्टी गवर्नरों में से एक होंगे मुर्मू
भारतीय रिज़र्व बैंक में कुल चार डिप्टी गवर्नर होते हैं, जिनके बीच विभिन्न विभागों की ज़िम्मेदारियां बांटी जाती हैं, जैसे:
- मौद्रिक नीति (Monetary Policy)
- वित्तीय बाजार नियमन (Financial Market Regulation)
- बैंकिंग सुपरविजन (Banking Supervision)
- आंतरिक प्रशासन और नियामकीय अनुपालन
मौजूदा डिप्टी गवर्नर हैं:
- स्वामीनाथन जानकीरमन
- पूनम गुप्ता (अर्थशास्त्री)
- टी. रबी शंकर
- अब शिरीष चंद्र मुर्मू (9 अक्टूबर से)
भारतीय रिज़र्व बैंक का नया दौर
शिरीष चंद्र मुर्मू की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब आरबीआई वित्तीय क्षेत्र में बदलते परिदृश्य और तेजी से बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम का सामना कर रहा है. उनकी नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक अनुभव से भारतीय रिज़र्व बैंक को आगामी चुनौतियों का सामना करने में बल मिलेगा. यह नियुक्ति स्पष्ट संकेत देती है कि केंद्र सरकार अनुभव और दक्षता को प्राथमिकता दे रही है, खासकर जब बात देश के आर्थिक भविष्य की हो.
शिरीष चंद्र मुर्मू की डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्ति न केवल उनके अनुभव का सम्मान है, बल्कि यह आरबीआई को एक स्थिर, जिम्मेदार और दक्ष नेतृत्व देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी है.
