देश भर के स्कूल-कॉलेजों में समान ड्रेस कोड के लिए पीआईएल, सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों और शिक्षकों के लिए एक समान ड्रेस कोड की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.

जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया तब याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस लेने की मांग की जिसे पहले पीठ ने अनुमति दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में केंद्र और राज्यों को सामाजिक समानता सुरक्षित करने, सम्मान सुनिश्चित करने और बंधुत्व, एकता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए रजिस्टर्ड और राज्य मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

निखिल उपाध्याय द्वारा एडवोकेट अश्विनी कुमार दुबे के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि कॉमन ड्रेस कोड हिंसा को कम करता है और अधिक सकारात्मक शैक्षिक वातावरण को बढ़ावा देता है.

याचिका में उन्होंने यह भी कहा कि सभी के लिए समान अवसर के प्रावधानों के जरिये लोकतंत्र के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने में सार्वभौमिक शिक्षा की भूमिका को हमारे गणतंत्र की स्थापना के बाद से स्वीकार किया गया है.

याचिका में कहा गया कि इस प्रकार कॉमन ड्रेस कोड न केवल समानता, सामाजिक न्याय, लोकतंत्र के मूल्यों को बढ़ाने और एक न्यायपूर्ण और मानवीय समाज बनाने के लिए आवश्यक है, बल्कि जातिवाद, सांप्रदायिकता वर्गवाद, अतिवाद, अलगाववाद और कट्टरवाद के सबसे बड़े खतरे को कम करने के लिए भी जरूरी है.

याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, सिंगापुर और चीन में, सभी स्कूल और कॉलेज ड्रेस दिशानिर्देशों की संवैधानिकता के लिए लगातार चुनौतियों के बावजूद एक समान ड्रेस कोड का पालन करते हैं.

इसने भारत के विधि आयोग को तीन महीने के भीतर सामाजिक समानता को सुरक्षित करने और बंधुत्व, गरिमा, एकता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने का सुझाव देते हुए एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की थी.

मुख्य समाचार

भारत ने इजराइली हमलों की निंदा करने वाले बयान से खुद को रखा दूर

भारत ने शनिवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की...

भारत-कनाडा संबंध: बहुआयामी सहयोग, पीएम मोदी का G7 शिखर सम्मेलन में भाग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 जून से तीन देशों की...

विज्ञापन

Topics

More

    Related Articles