भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को लेकर यमन से राहत भरी खबर आई है. बताया जा रहा है कि निमिषा प्रिया की फांसी को फिलहाल टाल दिया गया है. उन्हें बुधवार यानी 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी. लेकिन भारत के हस्तक्षेप के बाद फांसी को फिलहाल टाल दिया गया है. निमिषा प्रिया की फांसी को स्थगित करने के जानकारी ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के सदस्य सैमुअल जेरोम ने दी है. सैमुअल जेरोम 1999 से यमन में रह रहे हैं. हालांकि निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को माफ करने के लिए पीड़ित परिवार ने अब तक ‘ब्लड मनी’ स्वीकार करने को लेकर सहमति नहीं जताई है.
बता दें कि निमिषा प्रिया पर आरोप है कि उन्होंने साल में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या कर दी थी. इस मामले में वह दोषी ठहराई गईं. यमन के एक कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी. जिसके खिलाफ निमिषा प्रिया यमन के सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं, लेकिन यमनी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत न देते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा था.
सके बाद उन्होंने यमन के राष्ट्रपति से भी दया याचिका की मांग की थी. लेकिन उन्हें राष्ट्रपति की तरफ से भी राहत नहीं मिली और उनकी दया याचिका को खारिज कर दिया गया. इसके बाद निमिषा प्रिया को जुलाई को फांसी देना तय किया गया था. लेकिन फांसी के चंद घंटे पहले कई धार्मिक और सामाजिक संगठनों की कोशिश के चलते निमिषा प्रिया की फांसी को रोक दिया गया.
बता दें कि निमिषा प्रिया के मामले में भारत सरकार की दखल देने की सीमाएं काफी कम थी क्योंकि यमन की राजधानी सना में भारतीय दूतावास नहीं है. बावजूद इसके भारत ने औपचारिक रूप से निमिषा प्रिया की सजा पर रोक लगाने की मांग की और धार्मिक नेताओं के जरिए सरकार से बातचीत करने की कोशिश कर रही है. ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया कंथापुरम एपी अबूबक्कर मुसलियार ने निमिषा प्रिया के मामले में अहम भूमिका निभाई है. बता दें कि शरिया कानून के मुताबिक, पीड़ित परिवार को क्षमा देने या ब्लड मनी लेने का अधिकार है. लेकिन निमिषा के मामले में अभी तक पीड़ित परिवार ने ब्लड मनी का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया है.