मध्यप्रदेश में हाल के 18 महीनों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। 1 जनवरी 2024 से 30 जून 2025 के बीच कुल 461 हमलों दर्ज किए गए, जिसमें 612 पुलिसकर्मी घायल और 5 की मौत हुई। यानी औसतन हर दिन एक पुलिसकर्मी पर हमला हुआ ।
इन हमलों में विविध रूपों की हिंसा शामिल है—भीड़ द्वारा लाठी-डंडे, पत्थरबाजी, और सामूहिक हमला। इंडोर, भोपाल, राजगढ़, ग्वालियर, टीकमगढ़ आदि जिलों में सबसे अधिक घटनाएँ दर्ज हुईं। भोपाल में कुल 28, राजगढ़ में 26, और इंदौर में 23 मामलों की पुष्टि हुई है।
एक उदाहरण मौगंज (मध्यप्रदेश) का है, जहाँ एक जनजातीय समूह ने एक व्यक्ति का अपहरण और हत्या की, और पुलिस टीम को बचाने पहुँचे ASI रामचरण गौतम की मौत हो गई, जबकि अन्य अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए ।
स्थिति की समीक्षा करते हुए पूर्व DGP एन.के. त्रिपाठी ने कहा है कि पुलिस के खिलाफ बढ़ते हमले कानून का डर कम होने, अपराधियों की आत्मविश्वास बढ़ने, और पुलिस की अपर्याप्त संसाधन व सुरक्षा व्यवस्थाओं का प्रमाण हैं।
राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इन आंकड़ों की पुष्टि की और कहा कि पुलिस की कार्यक्षमता व मनोबल बचाए रखने के उपाय अपेक्षित हैं। विरोधी दलों ने इस पर गंभीर चिंताएँ व्यक्त की हैं और स्थिति को कानून-व्यवस्था की विफलता मानकर समीक्षा की मांग की है ।