2024 में संभल में हुई हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी। इस रिपोर्ट में चिंताजनक जनसांख्यिकीय परिवर्तन का खुलासा हुआ है—1947 में संभल नगर में हिंदू आबादी 45% थी, जो अब मात्र 15–20% रह गई है, जबकि मुस्लिम आबादी बढ़कर 85% हो गई है ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट में शामिल खुलासे को साझा साजिश करार देते हुए आरोप लगाया कि हिंसा के पीछे बाहरी तत्व और कट्टर समूहों की भागीदारी थी, और रिपोर्ट ने पूर्व सरकारों पर हिंदुओं को निशाना बनाने और जनसांख्यिकीय बदलाव की कहानी को उजागर किया है ।
वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे प्रदेश सरकार की सबसे बड़ी विफलता बताया और ‘पलायन प्रोपेगैंडा’ के आर्थिक नुकसान पर आगाह किया, उन्होंने कहा कि इससे निवेशक डरेगे और समाज में भ्रम फैलेगा । कांग्रेस नेता दीपक सिंह और अन्य विपक्षी नेताओं ने भी न्यायिक आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और मुख्यमंत्री से इस्तीफा की मांग की है ।
उस पर, काशी और मथुरा पर राजनीति नई दिशा पकड़ रही है—संभल हिंसा की रिपोर्ट के चर्चे में इन पवित्र स्थलों के मुद्दे को जोड़ते हुए सियासत की नई चालें सामने आ रहीं हैं ।
यह रिपोर्ट न केवल संभल की हिंसा की तह तक जाने का प्रयास है, बल्कि इसे राज्य की भूमि पर सांप्रदायिक समीकरण, राजनीतिक नीयत और आगामी चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है—जिससे काशी-मथुरा समेत पूरे प्रदेश में सियासी गर्माहट बढ़ी है।