केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जयपुर में आयोजित एक प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान भारत के नए आपराधिक कानूनों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने से भारत का न्यायिक तंत्र अब सज़ा देने के बजाय न्याय प्रदान करने पर केंद्रित होगा। यह बदलाव ब्रिटिश काल के पुराने क़ानूनों को समाप्त कर, नागरिकों को त्वरित और पारदर्शी न्याय सुनिश्चित करेगा।
अमित शाह ने बताया कि इन नए क़ानूनों में आतंकवाद, भीड़ द्वारा हत्या, संगठित अपराध और डिजिटल अपराध जैसे अपराधों को पहली बार परिभाषित किया गया है। इसके अलावा, 29 से अधिक प्रावधानों में समय-सीमा निर्धारित की गई है, और फरार आरोपियों के लिए ‘trial in absentia’ (ग़ैरहाज़िरी में मुक़दमा) का प्रावधान भी जोड़ा गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि इन क़ानूनों के लागू होने से आरोपपत्रों की समय पर दाखिल करने की दर 50% से बढ़कर अगले वर्ष तक 90% तक पहुँचने की उम्मीद है। अमित शाह ने इसे 21वीं सदी का सबसे बड़ा न्यायिक सुधार बताया, जो भारत के न्यायिक तंत्र को दुनिया के सबसे आधुनिक न्यायिक तंत्रों में से एक बनाएगा।