नई दिल्ली, 22 सितंबर 2025: सुप्रीम कोर्ट ने 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहे एयर इंडिया फ्लाइट 171 की दुर्घटना पर जारी प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट त्रुटि का आरोप लगाए जाने को ‘अविचारपूर्ण’ और ‘अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि बिना पूर्ण जांच के पायलटों पर दोषारोपण करना न केवल उनके परिवारों के लिए कष्टकारी है, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ भी है।
यह टिप्पणी उस समय आई है जब ‘Safety Matters Foundation’ नामक एनजीओ ने एक जनहित याचिका दाखिल कर मामले की स्वतंत्र और कोर्ट-निगरानी वाली जांच की मांग की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलटों पर दोषारोपण किया गया है, जबकि विमान के ईंधन नियंत्रण स्विच के ‘कटऑफ’ होने के कारण इंजन पावर में कमी आई थी। हालांकि, इस स्विच के मूवमेंट का कारण स्पष्ट नहीं है, और रिपोर्ट में बोइंग या इंजन निर्माता GE Aerospace को दोषमुक्त माना गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से इस मामले में जवाब मांगा है। कोर्ट ने जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र और त्वरित जांच की आवश्यकता पर बल दिया है।
इस दुर्घटना में 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई थी, जबकि एक व्यक्ति और 19 लोग जमीन पर गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह घटना बोइंग 787 के लिए पहला घातक हादसा था, जिससे भारतीय विमानन क्षेत्र में सुरक्षा मानकों पर सवाल उठे हैं।