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‘जेल से शासन’ पर रोक: मोदी सरकार ने पेश किए विधेयक, विपक्ष बोला- लोकतंत्र पर हमला

'जेल से शासन' पर रोक: मोदी सरकार ने पेश किए विधेयक, विपक्ष बोला- लोकतंत्र पर हमला

मोदी सरकार ने मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में तीन अहम विधेयक—संविधान (130वाँ संशोधन) विधेयक, संघ शासित प्रदेशों (संशोधन) विधेयक और जम्मू व कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक—पेश किए।

इन विधेयकों का उद्देश्य प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री तब तक अपने पद पर बने नहीं रह सकेंगे जब तक उन्हें किसी गंभीर अपराध के आरोप में 30 दिनों तक जेल में नहीं रहना पड़ा। अगर वे 31वें दिन तक इस्तीफा नहीं देते, तो उनके पद स्वतः रिक्त हो जाएंगे।

इसके विरोध में विपक्ष भारी आवाज उठा रहा है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इसे “डिकन्स्ट्रोशन” और संवैधानिक ढांचे को कमजोर करने वाला बताया। AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने इसे गेस्टापो और एक तानाशाही विकल्प करार दिया।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इसे लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताया, वहीं RJD के तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि यह NDA सहयोगियों—जैसे बिहार के CM नीतीश कुमार और AP के CM चंद्रबाबू नायडू—को निशाना बनाने की रणनीति है।

सरकार ने विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा है ताकि विस्तृत समीक्षा संभव हो सके।

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