बॉम्बे हाई कोर्ट ने 25 वर्षीय आरोपी मयूर वानखेड़े का बेकुटुम्बी मामले में बेल खारिज कर दी है, जिसमें उसे अक्सा बीच पर एक किशोर लड़के के साथ जबरन का दोषी पाया गया था। न्यायमूर्ति अमित बोर्कर ने स्पष्ट कहा कि “बेल नियम है, लेकिन जब बच्चा इसका शिकार हो तो अपवाद बने”—POCSO एक्ट की व्याख्या में बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
न्यायालय ने कहा कि आरोपी के बेल पर रिहा होने से वह पीड़ित या गवाहों को प्रभावित कर सकता है और इससे बच्चों का न्यायिक प्रक्रिया में मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ जाएगा । कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि POCSO अधिनियम की मंशा गंभीर अपराधों में बच्चों की रक्षा सुनिश्चित करना है, और बेल देने की उदार रवैये से इसका उद्देश्य प्रभावित होगा ।
इस मामले में बच्चे को 31 जुलाई 2024 को जबरन झाड़ियों में लाकर घटनास्थल पर पीड़ित किया गया था, और FIR दर्ज होते ही आरोपी गिरफ्तार हुआ था। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यौन अपराध के दौरान बच्चों को होने वाला मानसिक आघात गहन और दीर्घकालिक होता है, इसलिए न्यायपालिका मनोभाव में संवेदनशील रही है ।
इस फैसले ने स्पष्ट संदेश दिया है कि बच्चों के यौन शोषण के मामलों में बेल देने पर सख्ती बनी रहेगी और न्याय व्यवस्था पीड़ितों के हितों को सर्वोच्चता देगी।