उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम हाईकोर्ट द्वारा 23 जून को जारी अंतरिम रोक 26 जून को बरकरार रही, जब तक राज्य सरकार ने आरक्षण नियमों का राजपत्र (गैज़ट) में प्रकाशन पूरा नहीं किया । इस प्रतिबंध से चुनाव प्रक्रिया—जिसकी पहली चरण की वोटिंग 10 जुलाई और दूसरी 15 जुलाई तय की गई थी—अस्थायी रूप से रोक दी गई है, जबकि परिणाम 19 जुलाई को घोषित करने की योजना बनाई गई थी ।
राज्य सरकार ने इस बीच नैनीताल उच्च न्यायालय में सौंपा कि 9 जून को बनाए गए आरक्षण नियमावली का गैज़ट नोटिफिकेशन 14 जून को प्रकाशित हो गया था, लेकिन “संचार अंतराल” के कारण वह अदालत में प्रस्तुत नहीं हो पाया था । उच्च न्यायालय ने राज्य की इस जानकारी के आधार पर मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 जून दोपहर 2 बजे की सुनवाई की तारीख निर्धारित की, लेकिन चुनाव पर रोक तब तक बनी रहेगी ।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि उसका उद्देश्य चुनावों को स्थगित करना नहीं, बल्कि आरक्षण प्रक्रिया को पंचायत राज अधिनियम, 2016 की धारा 126 और संविधान की धारा 243 T के अनुरूप बनाने तक न्यायिक नियंत्रण बनाए रखना है । मुख्य न्यायाधीश नरेन्द्र और न्यायमूर्ति मेहरा की खंडपीठ ने कहा कि “यदि रोस्टर में कोई त्रुटि है, तो उसे तुरंत सही किया जाए। हम चुनावों को रोकना नहीं चाहते” ।
गैर‑हरिद्वार के 12 जिलों में प्रस्तावित चुनावों की संपूर्ण प्रक्रिया—नामांकन से लेकर वोटिंग तक—ठप है। मुख्य सचिव तथा पंचायती राज विभाग से कहा जा रहा है कि वे आरक्षण नियमों की वैधता सुनिश्चित करते हुए अदालत के आदेश को जल्द पूरा करें, ताकि लोकतंत्र के स्थानीय मूल को टाला न जा सके।