भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह के भीतर आश्रय गृहों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने इसे “अमानवीय” और “अवैज्ञानिक” करार दिया है। उनका कहना है कि यह आदेश 2023 के एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों का उल्लंघन करता है, जो कुत्तों की नसबंदी, रैबीज का टीकाकरण और उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस छोड़ने की प्रक्रिया को मान्यता देता है।
पेटा इंडिया और अन्य पशु कल्याण संगठनों ने इस आदेश को “मृत्युदंड” बताया है और इसे लागू करने में आने वाली चुनौतियों की ओर भी इशारा किया है। दिल्ली नगर निगम (MCD) ने 6,000 आक्रामक कुत्तों को छह सप्ताह में पकड़ने और उन्हें आश्रय गृहों में स्थानांतरित करने की योजना बनाई है, लेकिन आश्रय स्थानों की कमी और संसाधनों की सीमितता एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है।
इस आदेश के खिलाफ दिल्ली के इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं ने इसे असंवैधानिक और अमानवीय बताया। उनका कहना है कि यह आदेश न केवल पशुओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि यह सरकार की अपनी नीतियों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के भी खिलाफ है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस आदेश से रैबीज और कुत्तों के हमलों की समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि यह स्थिति को और जटिल बना सकता है। वे मानते हैं कि नसबंदी और टीकाकरण जैसे मानवीय उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।