सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका उनके सरकारी आवास से आग लगने के बाद जली हुई नकदी मिलने के मामले में दायर की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता को पहले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष प्रतिनिधित्व करने की सलाह दी। अदालत ने कहा कि जब तक याचिकाकर्ता उचित संवैधानिक प्राधिकरणों के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत नहीं करता, तब तक न्यायिक हस्तक्षेप उचित नहीं है।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय जांच समिति ने जस्टिस वर्मा के आवास से नकदी मिलने की पुष्टि की थी। इस रिपोर्ट को मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा था।
न्यायमूर्ति वर्मा को मार्च में दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से उन्हें कोई न्यायिक कार्य न सौंपने का निर्देश दिया है।
यह मामला न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल उठाता है।