डॉ. जे. के. की पुनर्स्थापना की मांग को लेकर आज (14 अगस्त 2025) सुप्रीम कोर्ट की पीठ मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन सुनवाई कर रहे हैं। यह सुनवाई देश में संघवाद और संवैधानिक मूल्य संरचना को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दे पर हो रही है ।
अपनी याचिकाओं में शिक्षाविद् ज़हूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक ने तर्क दिया है कि राज्य का दर्जा बहाल न किए जाने से जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक सरकार की भूमिका कमजोर हो रही है तथा यह भारतीय संविधान की मूल संरचना का गंभीर उल्लंघन है। उनकी दलील है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव शांति से संपन्न हो चुके हैं और राज्य का दर्जा बहाल करने में कोई सुरक्षा या अशांति संबंधी बाधा नहीं है ।
2023 के सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठीनिर्णय में अनुच्छेद 370 को निरस्त करते हुए राज्य के दर्जे को शीघ्र बहाल करने का निर्देश दिया गया था एवं विधान सभा चुनाव सितंबर 2024 तक कराने की बात कही गई थी । केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि जम्मू-कश्मीर का केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है और राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा ।