इस्लामाबाद में चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच “CPEC 2.0” यानी चीन–पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के दूसरे चरण पर समन्वित वार्ता हुई। इसमें शामिल हैं न केवल बुनियादी ढांचा बल्कि उद्योग, कृषि, तकनीक, विज्ञान और सुरक्षा सहयोग की योजनाएं ।
भारत इस पहल को गंभीर सुरक्षा चुनौती के रूप में देख रहा है क्योंकि CPEC गिलगित-बाल्टिस्तान (PoK) से गुजरता है, जिसे भारत अपना अभिन्न हिस्सा मानता है और इस पर अपना संप्रभुता का दावा कायम रखता है। इसके अलावा, अफगानिस्तान तक गलियारे का विस्तार चीन-पाक-तालिबान गठजोड़ को मजबूत कर सकता है, जिससे दिल्ली का क्षेत्रीय प्रभाव कम हो सकता है।
स्थानीय आर्थिक ज़ोन (SEZs) और ग्वादर पोर्ट के विस्तार के चलते चीन की रणनीतिक पहुँच और संभावित सैन्य क्षमताएं बढ़ सकती हैं, जिससे भारत की रणनीतिक सुरक्षा और समुद्री प्रभाव पर असर पड़ सकता है।