बेंगलुरु की केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने 4 जून को चेन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ की दुखद घटना में Royal Challengers Bengaluru (RCB) को “प्राइमाफ़ेई जिम्मेदार” ठहराया है।
यह हादसा तब हुआ था जब RCB ने IPL में पहली जीत का जश्न मनाते हुए सोशल मीडिया पर अचानक विजयी जुलूस और फैन इवेंट की घोषणा कर दी, जिससे लगभग 3–5 लाख लोग अचानक सड़कों पर उतर आए। CAT ने स्पष्ट किया कि पुलिस को तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया और आयोजन के लिए पुलिस की अनुमति भी नहीं ली गई ।
CAT ने टिप्पणी की, “पुलिस कर्मी भगवान या जादूगर नहीं हैं, उनके पास ‘अलादीन का चिराग’ नहीं है।” मतलब यह कि इतनी बड़ी संख्या को केवल 12 घंटे में नियंत्रित करना संभव नहीं था ।
इसी आदेश में CAT ने कट्टर IPS ऑफिसर विकास कुमार विकास की निलंबन को रद्द कर दिया है। न्यायाधिकरण ने कहा कि सरकार के हस्तक्षेप में “यांत्रिक (mechanical)” बिना ठोस प्रमाणों के निलंबन आदेश पारित किया गया था ।
RCB के ऊपर न केवल पुलिस तैयारियों में लापरवाही का आरोप है, बल्कि Karnataka हाईकोर्ट ने भी उच्च स्तरीय जांच टीम गठित कर सार्वजनिक पुलिस और संगठनात्मक सरकार की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है ।
इस प्रकरण से स्पष्ट है कि बड़ी भीड़ और सोशल मीडिया के गलत समय पर इस्तेमाल ने कितनी भयावहता तैयार की। सुरक्षा व्यवस्थाओं और राज्य-प्रशासन को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अधिक पारदर्शी, सिक्योरिटी-सेंसिटिव, और जिम्मेदार कदम उठाने की आवश्यकता है।