अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से रूस से तेल खरीदने के आरोप में अतिरिक्त 25% ‘सेकेंडरी टैरिफ’ लागू कर दिए हैं, जिससे कुल आयात शुल्क 50% हो गया—यह नया टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। उस समय मोदी सरकार के पास केवल करीब 19 से 21 दिन बचे हैं इस झटके से निपटने के लिए।
भारत के सामने पहला विकल्प है—संवाद फिर से शुरू करना। हालांकि ट्रंप ने कहा है कि तब तक कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी जब तक टैरिफ विवाद सुलझ नहीं जाता। इसके बावजूद भारत विकल्प तलाश रहा है—जैसे कुछ अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिबंधात्मक टैरिफ में परवाह करने का प्रस्ताव (अखरोट, चीज़, इत्यादि)।
दूसरा विकल्प है—रूसी तेल आयात में कटौती। कुछ भारतीय रिफाइनर इस दिशा में पहले ही कदम बढ़ा रहे हैं, हालांकि इससे ग्लोबल तेल कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है।
तीसरा कदम है—BRICS जैसे जैसे देशों के साथ गठजोड़ को मजबूत करना। भारत इस ट्रेड युद्ध का सामना अकेले नहीं करना चाहता और वैश्विक अलायंस की तलाश कर रहा है ।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि वे किसानों का हित कभी समझौता नहीं करेंगे, और किसी भी कीमत पर अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करने के लिए तैयार हैं।