उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में कांवड़ यात्रा को लेकर एक ढाबे को लेकर हंगामा छिड़ गया, जब “पंडित जी वैष्णो ढाबा” नाम से चल रहे ढाबे के QR कोड और नामप्लेट की जांच के बाद पता चला कि इसका मालिक मुस्लिम है। हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने ढाबा कर्मचारी की पैंट खींचकर पहचान बताए जाने की कोशिश की, जिससे तनाव पैदा हो गया। पुलिस ने इस घटना में शामिल छह लोगों को नोटिस जारी किया है और जांच शुरू कर दी है।
ढाबे का कर्मचारी तजम्मुल (उर्फ गोपाल) कहता है कि उसे पहचान छिपाकर काम करना पड़ा, पुलिस नोटिस के बावजूद स्वामी यशवीर महाराज ने चेतावनी दी कि आंदोलन जारी रहेगा। मामला सांप्रदायिक तनाव और धार्मिक पहचान आधारित कार्रवाई का प्रतीक बन गया है।
राज्य सरकार ने हवाईअड्डे-बीच कांवड़ मार्ग पर दुकानों के नाम‑धर्म पहचान के आदेश जारी किए हैं—कानून-व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर, लेकिन विपक्षियों और मानवाधिकार समूहों ने इसे धार्मिक पहचान की राजनीति करार दिया है ।
यह विवाद उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान धार्मिक प्रोफाइलिंग और समाजिक सौहार्द पर गंभीर सवाल खड़े करता है। प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप किया, लेकिन सांप्रदायिक विभाजन का खतरा बना हुआ है।