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मणिपुर में जातीय संघर्ष ने उजाड़ दी हरियाली, खाली पड़े खेत और सूनी फसलें

मणिपुर में जातीय संघर्ष ने उजाड़ दी हरियाली, खाली पड़े खेत और सूनी फसलें

मई 2023 से शुरू हुए मेइतेई और कूकी समुदायों के बीच संघर्ष के कारण मणिपुर की कृषि बहुत प्रभावित हो रही है। राज्य के चुराचंदपुर, कांगपोकपी व ईस्ट इम्फाल जिलों में लगभग 5,127 हेक्टेयर कृषि भूमि दो साल से अनउगाई बनी हुई है, जिससे लगभग 15,000 मीट्रिक टन चावल की कमी दर्ज की गई है।

यूजुंगमाखोंग गाँव (चुराचंदपुर) में कामिन्लिएन जैसे कई किसान दो साल से अपने खेत तक नहीं पहुँच पा रहे। वे कहते हैं कि खेत ‘बफर जोन’ में आने के कारण असुरक्षा के कारण खेती नहीं कर सकते हैं । अब तक राज्य की जी.एस.डी.पी. में कृषि हिस्सा करीब 22% था, लेकिन उत्पादन गिरने से आर्थिक संकट गहरा गया है।

इसके साथ ही, महत्वपूर्ण सुरक्षा कारणों से किसानों को खेत तक जाने की अनुमति नहीं दी जा रही, और सशस्त्र समूहों से भय बना हुआ है । किसानों ने यही कहा: “शक्ति से मारे जाने की संभावना है, लेकिन अकाल पूरे राज्य को मार देगा” ।

स्थिति इतनी गंभीर है कि राज्य कृषि विभाग ने ड्रोन सर्वे और फौजी वाहनों की सहायता से फसल नुकसान का आकलन किया, ताकि प्रभावित किसानों को ₹38 करोड़ का मुआवजा पैकेज मिल सके ।
रॉयटर्स और ए.पी. रिपोर्ट्स के अनुसार, जातीय हिंसा के कारण अब तक लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं और 250 से अधिक मौतें हुई हैं ।

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